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जयपुर, मंगलवार को पंजाब की दो महीनों पुरानी आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार ने बड़ी कार्यवाही करते हुए पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला को भृष्टाचार के आरोप में ना केवल बर्खास्त किया बल्कि उनको गिरफ्तार तक करवा दिया।

इस मसले पर युवा एवं सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को घेरा और तंज कसते हुए कहा कि ” देश मे दो मॉडल देख सकते है एक मॉडल पंजाब है जिसकी मात्र दो महीने पुरानी सरकार के मंत्री के खिलाफ शिकायत मिली तो खुद मुख्यमंत्री जांच करते है और करवाते है, जांच करने के बाद आरोपी मंत्री को ना केवल बर्खास्त किया बल्कि गिरफ्तार तक करवा पंजाब में ईमानदार सरकार का परिचय दिया। वही एक दूसरा मॉडल राजस्थान में चल रहा है जिसमे राज्य के जलदाय मंत्री डॉ महेश जोशी बेटे और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य रोहित जोशी का रेप केस और जान से मारने की धमकी देने का मामला है। जिसमे पीड़िता को न्याय दिलवाने की जगह राज्य सरकार राजस्थान में मंत्री के बेटे के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं करवा पा रही है और ना ही आरोपी रोहित जोशी पर कोई जांच करवा रही है इसके उल्ट राज्य का पूरा तंत्र मंत्री के बेटे को बचाने में जुट गया और मामले की एफआईआर दिल्ली में दर्ज होती है। जो अपने आप में प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है।

अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ईमानदारी की ढींगे तो हाकते है किंतु कभी ईमानदारी नही दिखाते है, रोहित जोशी के मामले को 20 दिन होने को आए किंतु मुख्यमंत्री ने जलदाय मंत्री डॉ महेश जोशी के बेटे के मामले में कोई संज्ञान नही लिया। इसके उल्ट मंत्री को संरक्षण देने के चलते कानून व्यवस्था मंत्री को सौंप दी, जिसके चलते आज मंत्री का बेटा पिछले 7 दिनों से फरार चल रहा है। अगर प्रदेश में इसी तरह कानून व्यवस्था चलती रहेगी तो कैसे महिलाएं और बालिकाएं सुरक्षित रहेगी। केसे पीड़ित लोगों को न्याय मिलेगा। पूरे प्रदेश में अपराधियों को संरक्षण देकर कानून व्यवस्था अपराधियों के हवाले कर दी गई।

*गंभीर मामले के बावजूद मंत्री अब तक बर्खास्त नही*

अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की राजस्थान के जलदाय मंत्री डॉ महेश जोशी के बेटे रोहित जोशी पर गंभीर आरोप लगे है उसके बावजूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस पार्टी ने पीड़िता को न्याय दिलवाने की बजाय मंत्री को संरक्षण देना उचित समझा। आरोप लगाने के साथ ही मुख्यमंत्री को डॉ महेश जोशी को बर्खास्त करना चाहिए था और मामले की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए थी किंतु ना मंत्री को बर्खास्त किया गया, ना ही राज्य सरकार ने निष्पक्ष जांच के लिए कोई आदेश दिए। जिसके चलते मंत्री महेश जोशी अपने प्रभाव के चलते अपने बेटे रोहित जोशी को बचाने में जुटे हुए है।

 

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