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राजस्थान में सोमवार से कोविड की फ्री प्रीकॉशन डोज लगाई जा रही है। राज्य में प्रीकॉशन डोज लेने वालों की संख्या लगभग 24.15 लाख है। इनमें हेल्थ वर्कर्स 5.17 लाख, फ्रंटलाइन वर्कर्स 6.48 लाख और कोमॉर्बिडिटी (कई बीमारियों से ग्रसित) 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या करीब 12.50 लाख है। चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने लोगों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में कोविड की प्रीकॉशन डोज लगवाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन और कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर के जरिए ही कोविड को मात दी जा सकती है।

 

मेडिकल डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव वैभव गालरिया ने बताया कि कोविड-19 टीके की प्रीकॉशन डोज Co-WIN ऐप में दर्ज दूसरी खुराक की तारीख से 9 महीने पूरे होने पर दी जा सकेंगी। उन्होंने बताया कि वैक्सीन लगवाने वाले व्यक्ति को पहले कोविशील्ड या कोवैक्सीन जो भी कोविड वैक्सीन लगाई गई है। उसी वैक्सीन का टीका प्रीकॉशन डोज के तौर पर लगाया जाएगा। डोज लगने के बाद वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट ऑटोमैटिक जनरेट हो जाएगा।

 

डॉक्टर को कोई सर्टिफिकेट देने की जरूरत नहीं

गालरिया ने सभी लोगों से ऑनलाइन या ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवा कर ज्यादा से ज्यादा संख्या में वैक्सीनेशन कराने की अपील की है। गालरिया ने कहा कि कोमॉर्बिडिटी वाले 60 साल और उससे ज्यादा उम्र के सभी लोगों को प्रीकॉशन डोज के लिए डॉक्टर को कोई सर्टिफिकेट देने की जरूरत नहीं होगी। प्रदेश के सभी जिलों में कोविन ऐप पर काम करने वाले डिस्ट्रिक्ट नोडल ऑफिसर और आरसीएचओ को जरूरी ट्रेनिंग दी जा चुकी है। वैक्सीनेशन की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

 

जयपुर में 296 सेंटर

राजस्थान में वैक्सीनेशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. रघुराज सिंह ने बताया कि प्रदेश में वैक्सीनेशन के लिए 6500 से ज्यादा सेंटर बनाए हैं। जहां दूसरे एज ग्रुप के साथ 60 प्लस के बुजुर्ग भी वैक्सीनेशन करवा सकते हैं। अलग से 60 प्लस के सेंटर नहीं बनाए गए हैं। जयपुर में 296 सेंटर हैं। जिनमें जयपुर सेकेंड में 201 और जयपुर फर्स्ट में 96 सेंटर्स बनाए गए हैं।

 

कोमॉर्बिटिडी में शामिल हैं ये 20 गम्भीर बीमारियां

 

1.पिछले 1 साल में हार्ट फेल्योर की वजह से अस्पताल में भर्ती हुए हों।

 

2.पोस्ट कार्डियक ट्रांसप्लांट या लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस।

 

3.सिग्निफिकेंट लेफ्ट वेंट्रिकुलर सिस्टोलिक डिसफंक्शन (एलवीईएफ 40% से कम)।

 

4.मॉडरेट और गंभीर वल्वुलर हार्ट डिजीज।

 

5.पीएएच /इडियोपैथिक पीएएच के साथ कॉन्जेनाइटल हार्ट डिजीज।

 

6.सीएबीजी /पीटीसीए या एमआई और हाइपरटेंशन/डायबिटीज का इलाज हुआ हो, कोरोनरी अर्टरी डिजीज की शिकायत रही हो।

 

7.एंजाइना और हाइपरटेंशन / डायबिटीज का इलाज हुआ हो।

 

8. स्ट्रोक और हाइपरटेंशन / डायबिटीज का इलाज।

 

9.पल्मोनरी आर्टरी हाइपरटेंशन और हाइपरटेंशन / डायबिटीज का इलाज।

 

10. डायबिटीज (10 साल से ज्यादा समय से) और हाइपरटेंशन का इलाज चल रहा हो।

 

11.किडनी / लिवर / हिमेटोपोएटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट कराने वाले / वेट लिस्ट में शामिल हों।

 

12. किडनी की बीमारी की लास्ट स्टेज और मरीज हिमोडायलिसिस या सीएपीडी पर हो।

 

13. लम्बे वक्त से कोर्टिकोस्टेरॉयड्स की गोली खा रहे हों या इम्युनिटी को कम करने वाली दवाई ले रहे हों।

 

14.डिकम्पेंसेटेड सोसायसिस की बीमारी हो।

 

15.पिछले 2 साल में सांस की गम्भीर बीमारी के कारण हॉस्पिटल में भर्ती हुए हों।

 

16.लिम्फोमा, ल्यूकेमिया या मायलोमा की बीमारी हो।

 

17. 1 जुलाई 2020 या उसके बाद जांच में किसी तरह के कैंसर का पता चला हो / कैंसर की थैरेपी ली हो।

 

18. स्किल सेल बीमारी/ बोन मैरो फेल्योर/ एप्लास्टिक एनीमिया / थैलेसीमिया की बीमारी हो।

 

19. प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी डिजीज या एचआईवी इन्फेक्शन।

 

20. इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटिज / मस्कुलर डिस्ट्रोफी / एसिड अटैक से सांस लेने के सिस्टम का प्रभावित होना/ दिव्यांग/अंधापन/ बहरापन।

 

 

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