जयपुर,राजस्थान में बिजली और कोयला संकट फिर गहरा गया है। प्रदेश के अलग-अलग बिजली घरों में पाॅवर प्रोडक्शन की 5 यूनिट्स तकनीकी कारणों से बंद बताई जा रही है। कोयले की कमी और केंद्र की गाइडलाइंस के कारण प्रदेश को विदेशों से कोयले की खरीद बढ़ानी होगी। महंगा कोयला खरीदने का असर उपभोक्ताओं पर फ्यूल सरचार्ज के रूप में पड़ सकता है। बिजली 1 रुपए प्रति यूनिट तक महंगी हो सकती है।
सूरतगढ़ थर्मल पाॅवर प्लांट में 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल यूनिट और 250 मेगावाट की यूनिट, कालीसिंध पाॅवर प्लांट की 600 मेगावाट यूनिट, कोटा थर्मल पाॅवर प्लांट की 210 मेगावाट यूनिट और छबड़ा थर्मल पाॅवर प्लांट की 250 मेगावाट की यूनिट में बिजली प्रोडक्शन पूरी तरह ठप है। उन्हें सुधारकर इसलिए चालू नहीं किया जा रहा है, क्योंकि कोयले का पूरा स्टॉक नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश के बिजलीघरों में केवल 3 से 4 दिन का ही कोयला स्टॉक बचा है, जबकि गाइडलाइंस के मुताबिक 26 दिन का कोयला स्टॉक होना चाहिए। प्रदेश में बिजली की खपत बढ़कर 25 करोड़ यूनिट प्रतिदिन के पार पहुंच चुकी है, जबकि पिछले साल रोजाना औसत खपत 19 करोड़ 90 लाख यूनिट थी।
अघोषित बिजली की कटौती
बिजली प्रोडक्शन में कमी के कारण एक्सचेंज मार्केट से महंगी रेट पर बिजली खरीदने के अलावा शॉर्ट टर्म टेंडरिंग से बिजली लेकर काम चलाया जा रहा है। टेंडरिंग में 11.15 रुपए प्रति यूनिट तक रेट आ रही है। एक्सचेंज से खरीदने पर 17 रुपए और कभी-कभी 20 रुपए यूनिट तक की रेट पर बिजली खरीदनी पड़ती है। बिजली किल्लत के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में अघोषित बिजली कटौती की जा रही है।
वैसे बिजली कटौती के कहीं भी ऑफिशियल आदेश नहीं निकाले गए हैं। तीनों डिस्कॉम अपने-अपने एरिया में अघोषित कटौती कर रही हैं। विद्युत प्रसारण निगम के निर्देश पर डिस्कॉम कंपनियां बिजली कटौती के लिए लोड शेडिंग का सहारा ले रही है। जिसमें फीडर को रोटेट कर चलाया जाता है। तय टाइम स्लॉट पर अलग-अलग फीडर्स को बंद रखा जाता है। जबकि कुछ फीडर्स को चालू रखा जाता है। इससे आधे घंटे या उससे ज्यादा वक्त तक बिजली कटौती होती है। घरों में एसी, कूलर, पंखे,कारखानों-दफ्तरों में कूलिंग प्लांट्स के लिए बिजली की डिमांड ज्यादा बढ़ती जा रही है। बिजली खपत लगातार बढ़ने से ट्रिपिंग और फाल्ट के मामले भी बढ़ने लगे हैं। ग्रामीण और कस्बों में 2 से 4 घंटे तक बिजली जाने से लोग परेशान हैं।