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बीकानेर,प्रदेश की जेलों में बंदियों को जीवन की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए जेल प्रशासन और सरकार तमाम कोशिशें कर रही है। अब सरकार व जेल प्रशासन एक बार फिर बंदियों को नशा छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति केन्द्र खोलने की कवायद शुरू करने जा रहा है। इसके लिए जेल प्रशासन ने कसरत करनी शुरू कर दी है। प्रदेश की तीन जेलों में सरकारी नशा मुक्ति केन्द्र और प्रदेश की नौ जेलों में एनजीओ के माध्यम से नशा मुक्ति चिकित्सा शिविर संचालित करने की योजना बनाई जा रही है। सब कुछ ठीक रहा तो आगामी मई माह से बंदियों को नशा छुड़ाने की व्यवस्था लागू की कर दी जाएगी।

प्रदेश की जेलों में 45 फीसदी बंदी किसी न किसी तरह के नशे के आदी है। बंदी डोडा-पोस्त, अफीम, गांजा, एमडी, हेरोइन, मेडिकेडेट नशे की गिरफ्त में हैं। हालात यह है कि नशे के लिए बंदियों ने जेलो में अशांति का माहौल बना रखा है। जेलाें में स्वास्थ्य केन्द्र संचालित हैं, जिनमें उनका प्राथमिक उपचार किया जाता है लेकिन नशा छुड़ाने के लिए जो उपचार दिया जाना चाहिए वह उन्हें नहीं मिल रहा है।
बीकानेर जेल में एनजीओ के माध्यम से नशा मुक्ति शिविर
बीकानेर केन्द्रीय कारागार प्रशासन ने जेल में नशा मुक्ति केन्द्र संचालित करने के लिए जेल मुख्यालय के समक्ष प्रस्ताव रखा है। साथ ही एनजीओ से भी इस संबंध में संपर्क किया है। प्रदेश की कई जेलों में एनजीओ के माध्यम से नशा मुक्ति केन्द्र खोलने की कवायद एक बार फिर से शुरू की गई है। जेल प्रशासन स्थानीय स्तर पर एनजीओ से संपर्क साधने रहे हैं। बीकानेर जेल प्रशासन ने एक एनजीओ से संपर्क किया है। जेल मुख्यालय को इस संबंध में अवगत कराया है। एनजीओ और सरकार से अनुमति मिलने के बाद बीकानेर जेल में नशा मुक्ति केन्द्र शीघ्र शुरू होगा।

जेल के एक उच्चाधिकारी ने बताया कि जेलों में नशा मुक्ति केन्द्र होना बेहद जरूरी है। सरकारी नशा मुक्ति केन्द्र हो तो रिस्क कवर हो सकती है लेकिन एनजीओ के माध्यम से नशा मुक्ति केन्द्र खोला जाए तो रिस्क कवर होना मुश्किल होता है। किसी बंदी की किसी कारणवश मौत हो जाए या नशे के चलते हालात बिगड़ जाए तो लेने के देने पड़ जाते हैं। सरकारी केन्द्र हो तो उसमें सभी सुविधाएं होती है, सरकार उसमें सहयोग करती है। इन सभी बाधाओं के चलते जेलों में एनजीओ के माध्यम से नशा मुक्ति केन्द्र खोलने से जेल प्रशासन कतराता है। सरकार खर्चे व रिस्क के डर से ही नशा मुक्ति केन्द्र खोल नहीं रही है।

जेल प्रशासन की मानें तो जेल में नशा मुक्ति केन्द्र खोलना जरूरी है। यहां न्यायिक अभिरक्षा भुगतने वाले नशे के आदी बंदियों को संभालना मुश्किल होता है। नशा नहीं मिलने पर वे तड़पते हैं। जेल में हुड़दंग करते हैं। इतना ही नहीं नशा की आपूर्ति के लिए वह किसी भी हद तक चले जाते हैं। कई बार बंदी नशा नहीं मिलने पर आपा खो बैठते हैं और साथी बंदियों और सुरक्षा प्रहरियों पर हमला कर बैठते हैं। जेल में नशा छुड़ाकर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ना जरूरी है ताकि जेल से छुटने के बाद वह सादा जीवन जी सके।

जयपुर, जोधपुर व कोटा में सरकारी नशा मुक्ति केन्द्र खोलने के प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजे हुए हैं। बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, जैसलमेर, फलौदी सहित नौ जेलों में एनजीओ के माध्यम से नशा मुक्ति चिकित्सा शिविर लगाने पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। एनजीओ से संपर्क साधन रहे हैं। जेलों में नशा मुक्ति केन्द्र खुलने से बंदियों का जीवन सुधरेगा। जेलों में शांति बहाल होगी। विक्रमसिंह करणावत,आईजी जेल जयपुर

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