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जयपुर,बीकानेर यो हर शहर में होली का अपना रंग होता है, लेकिन राजस्थान के बीकानेर शहर में इस बार, मारवाड़ी समुदाय के एक परिवार ने इस होली को विलक्षण बना दिया। होली के गुलाल में भी शायद इतने रंग नजर नहीं आएं जितने चेहरे इस होली पर सिर्फ इस एक परिवार के शहर में जुट आए।

कई राज्यों यहां तक कि नेपाल से भी पहुंचे बीकानेर

बीकानेर के भैरूदान ईसरचंद चौपड़ा परिवार की पांच पीढ़ियों के करीब साढ़े सात सौ सदस्यों ने जब चौपड़ा स्ट्रीट की विख्यात हवेलियों में होली उत्सव शुरू किया तो लग रहा मानो बीकानेर की इस गली में पूरा एक शहर रंगों की हिलोरों में सराबोर हो गया। एक ही परिवार की बेहद विलक्षण है। इस अनोखी होली में शामिल होने के लिए तीन सौ से अधिक सदस्य कोलकाता, जयपुर, दिल्ली, सूरत, चेन्नई, मुम्बई, बंगलूरू और यहां तक कि नेपाल से भी बीकानेर पहुंचे।

125 साल की भव्य विरासत

इतना ही नहीं इस वटवृक्ष जैसे परिवार के अलावा बीकानेर शहरवासियों को भी इन खुशियों में शामिल होने के लिए न्योता गया। परिवार की ओर से कवि सम्मेलन और नाटकों का मंचन भी किया गया। खास भी था कि इन प्रस्तुतियों में अन्य कलाकारों के अलावा चौपड़ा परिवार के बुजुर्ग और बाल कलाकारों ने भी हिस्सा लिया। परिवार ने खुद की हवेलियों को रंगमंच बनाया और परिवार की 125 सालों की भव्य विरासत को पटकथा बना कर इसे ना सिर्फ फिर से जीया बल्कि शहर की नई पीढ़ी को भी इससे रूबरू कराया।

बच्चों की अठखेलियों में बुजुर्गों ने खोजा बचपन

इस विलक्षण होली मिलन में जहां छोटे-छोटे बच्चों की अठखेलियां थीं तो वहीं सौ वर्ष से अधिक उम्रदराज सदस्यों ने भी रंगों में डूब कर बीकानेर की गलियों में बिताए अपने बचपन को याद किया। कई सदस्य तो ऐसे थे, जो आधी सदी गुजरने के बाद फिर एक-दूसरे से मिले। परिवार की ओर से 17 से 19 मार्च तक आयोजित किए गए कार्यक्रमों में पारिवारिक संबंधों की एक अलग ही जो मौजूदा समय में मिसाल देखने को मिली,

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