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बीकानेर,देश में मुहर्रम के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग कई तरह तरह के ताज़िये बनाए जाते हैं. जहां उन्हें क़र्बला में ताजियो को ठंडा किया जाता हैं. इसकी कड़ी में बीकानेर में एक अनोखा ताजिया बनाया गया जो कि अपने आप में कलाकारी की बेजोड़ नमूना है. पूरे देश में आज मुहर्रम का दिन है, ऐसे में ताजिया ठंडा करने की प्रथा कई वर्षों से चली आ रही है. वहीं इस दौरान शहर में कई तरह के ताज़िये दिखाई देते हैं लेकिन बीकानेर में एक ऐसी भी जगह हैं जहां सोने की नक्कासी किया ताजिया नजर आया जो अपने आप में बेहद ख़ास है. जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग पहुंचे. आज रात के बाद इस खास उस्ता कला के बेजोड़ नमूने वाले सोने के ताज़िये को मोहल्ले में निकाल कर रख दिया गया. कई महीनों की कड़ी मेहनत के बाद कई कलाकारों ने मिलकर इस पर सोने की नक्कासी की जिस पर क़ुरान की आयते और क़र्बला के मैदान की दस्ता को अरबी और उर्दू में लिखा गया है. देश के सभी शहरों में ताज़िये के जुलूस निकलते हैं और गर्मी के इस मौके पर शहादत को याद करते हुए सभी के कदम क़र्बला की तरफ बढ़ चलते हैं. बीकानेर मेलकड़ी, सूखे मेवे, मोम, कांच और थार्मोकोल के ताज़िये बनाए जाते हैं. सामान्यतया ऐसे ताज़िये आम बात हैं लेकिन सोने के ताज़िया सिर्फ बीकानेर में देखने को मिलता है जो अपने आप में कला की अद्भुत प्रदर्शनी है.

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