बीकानेर,मानव धर्म प्रचार सेवा संस्थान ओर माता धापुदेवी आसदेव परिवार बंबलु वालों की और से शारदीय नवरात्र के पावन पर्व पर नवरात्र पुजा अनुष्ठान शुभारंभ हुआ… उपरोक्त “नवरात्र हवन यज्ञ अनुष्ठान” सदग्रहस्थ संत मनुजी महाराज एवं बालसंत श्रीछैल विहारी महाराज के द्वारा पारीक चोक सुथार मोहल्ला नयाशहर स्थित भागवतबासा भवन प्रांगण मे आज विधि-विधान पूर्वक पूजन कर सोङषोपचार पंचोपचार द्वारा देवी महागौरी स्वरूप का पुजन किया गया….तत्पश्चात गायत्री जप एवं हवन-पूजन एवं साय दुर्गा सप्तसती पाठ इन्द्राक्षी कवच स्रोत और पाठ किये गये….तत्पश्चात हवनअनुष्ठान मे इन्द्राक्षी बीजमंन्त्र द्वारा हवन किया गया..तत्पश्चात बालसंत श्रीछैल विहारी महाराज द्वारा” 108 कंजक पुजन मे चरण प्रक्षालन के साथ आरती पश्चात नन्ही बालिकाओ द्वारा ङाङिया गरबा खेला और प्रसाद वितरण किया गया….बालसंत श्रीछैल विहारी महाराज ने अनुष्ठान माध्यम से महागौरी स्वरूप की विस्तृत व्याख्या कर बताया कि ..नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है। नाम से प्रकट है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है.. इनकी आयु आठ साल की मानी गई है। इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं।इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है। 4 भुजाएं हैं और वाहन वृषभ है इसीलिए वृषारूढ़ा भी कहा गया है इनको।इनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है तथा नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किया हुआ है। ऊपर वाले बाँये हाथ में डमरू धारण कर रखा है..और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है।इनकी पूरी मुद्रा बहुत शांत है। पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी। इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया।उनका रूप गौर वर्ण का हो गया। इसीलिए ये महागौरी कहलाईं।ये अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के तमाम कल्मष धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना-
आराधना कल्याणकारी है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं।…नवरात्रि अनुष्ठान से जुङे नितेश आसदेव ने बताया..कि उपरोक नवरात्रि अनुष्ठान मे बीकानेर बंबलु निवासी माता धापुदेवी के पुत्र और हाल मुम्बई के प्रसिद्ध भामाशाह कॉन्ट्रेक्टर रामप्रताप कुंदनराम आसदेव लक्ष्मण आसदेव नवरत्न आसदेव मनोज आसदेव पुनम आसदेव दिनेश आसदेव गोरांश आसदेव एव समस्त बंबलु आसदेव परिवार नवदिवसीय नवरात्र अनुष्ठान के मुख्य यजमान है…..संस्थान की और से नित्य पुजन सेवाश्रम से नितेश आसदेव सीमा पुरोहित कुणाल पारीक ममता आसदेव नवरत्न धामु हरिकिशन नागल श्रीकिसन मांङण आदि जुङे हुए थे