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बीकानेर,संसद में पेगासस जासूसी, किसान विरोधी कानून, मंहगाई तथा देश में बिगड़ते आर्थिक हालात यह संयुक्त विपक्ष के मुद्दे हैं जो मोदी सरकार के लिए राजनीतिक चुनौती बनाए गए हैं। यह सच है मजबूत विपक्ष लोकतंत्र की ताकत है। सवाल यह है कि क्या विपक्षी दल अपने आपको लोकतांत्रिक भूमिका में साबित कर पा रहे हैं या राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई संसद में जाकर लड़ रहे हैं। कोरोना, बदले हुए अंतरराष्ट्रीय समीकरण औऱ सीमाओं पर चुनोतियों के बीच विपक्ष का क्या राष्ट्रीय हित मुद्दों पर भी ध्यान नहीं जाना चाहिए ? विपक्ष ने जो मुद्दे उठाए हैं मोदी सरकार उन पर जनता को विश्वास में नहीं ले पाई है। संसद में हंगामे से लोकतंत्र की हत्या हुई है । यही नहीं सरकार और विपक्षी दलों दोनों की साख गिरी है। दुनिया के सामने सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की छवि कैसी बनती जा रही है कहने की जरूरत नहीं है। अपनी राजनीतिक साख बचाने के लिए राष्ट्रीय हितों को ताक पर रखना न विपक्ष को शोभा देता है न सत्तापक्ष को। साख मोदी सरकार की भी गिरी है तो विपक्ष की भी।

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