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जयपुर, । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित मंत्रीपरिषद की बैठक में शिक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं। 50 वर्षो बाद राजस्थान शैक्षिक सेवा नियमों में सुधार होने जा रहे हैं जिसमें 4 लाख से अधिक कार्मिक लाभान्वित होंगे। राजस्थान शिक्षा सेवा नियम 1970 एवं राजस्थान अधीनस्थ शिक्षा सेवा नियम 1971 को आमेलन कर दिया गया हैं जिससे विभिन्न पदोन्नतियों के अवसर बढेगे तथा विभिन्न पदोन्नतियों लिनियर चैनल से होगी तथा इससे विभिन्न संवर्गो की वर्षों से लंबित समस्याएं समाप्त हो जायेगे इससे राजस्थान में शिक्षा का जो ढांचा हैं वह और सुदृढ होगा।

• अतिरिक्त निदेशक, संयुक्त निदेशक के पदों पर पदोन्नति हेतु निचले पद के एक वर्ष के अनुभव के साथ कुल 4 वर्ष के अनुभव का प्रावधान किया गया हैं।

• जिला शिक्षा अधिकारी के पदों को 50 प्रतिशत सीधी भर्ती से भरे जाने का प्रावधान को समाप्त कर दिया गया हैं। अब यह पद शत प्रतिशत सीधी भर्ती से भरे जायेगे।

• व्याख्याता व प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य व समकक्ष पदों पर पदोन्नति हेतु अनुपात 67:33 से बदलकर 80:20 कर दिया गया हैंे।

• प्रधानाध्यापक पद की योग्यता को स्नातक से बढाकर अधिस्नातक कर दिया गया हैं।

• व्याख्याता की सीधी भर्ती व पदोन्नति हेतु अब स्नातक के साथ अधिस्नातक भी उसी विषय में करना आवश्यक होगा।(वर्तमान में अधिस्नातक ही आवश्यक हैं।)

• व्याख्याता शारीरिक शिक्षा के पद को एनकैडर किया गया हैं।

• पुस्तकालयाध्यक्ष ग्रेड प्रथम का पद एनकैडर किया गया हैं।

• पुस्तकालयाध्यक्ष ग्रेड द्वितीय के पदों पर सीधी भर्ती एवं पदोन्नति पर लगी रोक को हटा दिया गया हैं।

• शारीरिक शिक्षक ग्रेड तृतीय, पुस्तकालयाध्यक्ष ग्रेड द्वितीय एवं तृतीय की योग्यता एनसीटीई के अनुसार संशोधित की गई हैं।

• 6 डी से तृतीय श्रेणी अध्यापको के सैटअप परिवर्तन हेतु 3 वर्ष की सेवा की शर्त का विलोपन किया गया हैं।

• प्रतियोगी परीक्षाओं से चयन हेतु न्यूनतम उŸाीर्णाक का प्रावधान किया गया हैं। (40 प्रतिशत न्यूनतम उतीर्णाक तथा नियमानुसार छूट)

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व्याख्याता (L-12) एवं प्रधानाध्यापक (L-14) संवर्ग से प्रधानाचार्य (L-16) पद पर पदोन्न्ति हेतु अनुपात 80: 20 कर नियमों में संशोधन प्रस्तावित किए जाये के उपरान्त प्रधानाध्यापक एवं व्याख्याता दोनों संवर्ग माननीय शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) महोदय एवं माननीय मुख्यमंत्री महोदय से मिले और अपनी-अपनी बात बताई।

इसके दृष्टिगत प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति के अनुपात 80:20 को एकबारगी (One Time) करते हुए दोनों कॉडर की समस्याओं का निवारण करने एवं साथ ही विभाग को भी सुदृढ़ करते हुये वित्त विभाग से चर्चा कर प्रस्ताव को माननीय शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) महोदय से अनुमोदन उपरान्त मंत्रिमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया।

 

• इस प्रस्ताव से दोनों कॉडर को वर्तमान प्रावधान 67:33 या प्रस्तावित 80:20 दोनों स्थितियों से पदोन्नति के अधिक अवसर प्राप्त होंगे एवं भविष्य में दोनों कॉडर का आमेलन हो जायेगा।

• प्रधानाध्यापक के वर्तमान में स्वीकृत लगभग 3600 पदों को समाप्त कर प्रधानाचार्य के पद पर अपग्रेड किया जायेगा।

• विभाग में पदोन्नति के अवसर बढेंगे एवं अनावश्यक संवर्ग विवाद समाप्त होगा।

• भविष्य में पदोन्नति चैनल स्पष्ट एवं लीनियर होगा।

• व्याख्याता संवर्ग को 100 प्रतिशत पदोन्नति के अवसर प्राप्त होंगे एवं उप प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति होने से पदोन्नति का एक अतिरिक्त अवसर मिलेगा।

• दोनों संवर्गों को आने वाले वर्षों में निर्धारित संख्या से अधिक पदोन्नति मिलेगी।

क्रियान्विति के चरण:-

• एकबारगी (One Time) 80:20 के संशोधित अनुपात में डीपीसी करवाई जायेगी, जिमसें 3600 नये पदों को शामिल किया जायेगा।

• 12400 राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों में उप प्रधानाचार्य (L-14) के पदों का सृजन किया जायेगा।

• इस प्रकार 3600 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को प्रधानाचार्य से एवं 12400 राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों को प्रधानाचार्य एवं उप प्रधानाचार्य से ऑपरेट किया जावेगा।

• 3600 प्रधानाध्यापकों में से लगभग 1320 प्रधानाध्यापकों की पदोन्नति 80:20 के प्रावधान से एकबारगी (One Time) डीपीसी करने से प्रधानाचार्य पद पर हो जायेगी, शेष उप प्रधानाचार्य के पद पर पदस्थापित कर दिये जायेंगे।

• व्याख्याता संवर्ग से 5280 व्याख्याताओं की पदोन्नति 80:20 के प्रावधान से एकबारगी (One Time) डीपीसी करने से प्रधानाचार्य पर हो जायेगी।

• उप प्रधानाचार्य के 10000 से अधिक शेष पदों पर व्याख्याता संवर्ग को पदोन्नति का अतिरिक्त लाभ मिलेगा।

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