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बीकानेर/ शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान के तत्वावधान में समाजवादी चिंतक, पूर्व पार्षद स्व.भंवरलाल आर्यबंधु की 102 वीं जयंती के अवसर पर स्थानीय ब्रह्म बगीचा में नमन कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में वक्ताओं ने स्व.आर्यबंधु की सामाजिक सेवाओं का स्मरण करते हुए उनके आदर्शों को अपनाने का आह्वान किया |

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि स्व.आर्यबंधु साहित्य एवं समाज सेवा से जुड़े व्यक्ति थे उनकी स्मृतियों को चिरस्थायी बनाए रखना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजली होगी ।
मुख्य अतिथि समाजवादी नेता नारायणदास रंगा ने कहा कि आर्यबन्धु जीवनपर्यंत सर्वहारा वर्ग के हितैषी रहे  उन्होंने आदमी से आदमी को जोड़ने का काम किया था जिससे प्रेम और सौहार्द की भावना बलवती हुयी |
कार्यक्रम में शायर डॉ. नासिर ज़ैदी ने कहा कि स्व.आर्यबंधु के आदर्श आज भी नयी पीढी के लिए मार्गदर्शक का काम करते हैं , प्रेरणा प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रेम नारायण व्यास ने कहा कि स्व.आर्यबंधु राजनैतिक-सामाजिक चेतना के सक्रिय कार्यकर्ता के साथ प्रतिबद्ध लेखक और सम्पादक भी थे जिन्होंने कई पुस्तकों का सम्पादन किया | विशिष्ट अतिथि व्यंगकार-सम्पादक डाॅ.अजय जोशी ने स्वं. आर्यबंधु के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके बताए हुए मार्ग पर चलते हुए युवा साथी अपने भविष्य का निर्माण कर सकते हैं, जोशी ने कहा कि हमारे पुरोधा हमारे समाज की धरोहर हैं।
शब्दरंग के संयोजक अशफाक कादरी ने स्व.आर्यबंधु के जीवन दर्शन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि स्व.आर्यबंधु हरदिल अजीज शख्सियत के धनी थे |
इससे पहले अतिथियों ने स्व.आर्यबंधु के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पअर्पित किए |
कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने स्व.आर्यबंधु के जीवन दर्शन पर पत्र-वाचन करते हुए विस्तार से बताते हुए कहा कि 17 जनवरी 1921 में जोधपुर में जन्मे आर्यबंधु अजातशत्रु थे | स्वतन्तता के पूर्व बीकानेर में उनके क्षेत्र में शिक्षा का अभाव था | लोग पढ़े-लिखे नहीं थे | आर्यबंधु लुहारों के मोहल्ले में रहते हुए अपनी युवावस्था से ही सेवा कार्यों में लग गए थे | तार-चिट्ठी पत्री पढ़वाने मोहल्ले वाले इनके पास ही आया करते थे | बीकानेर में आयोजित समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रथम अधिवेशन में अग्रणी भूमिका निभाते हुए इसे सफल बनाया | इस अधिवेशन में राष्ट्रीय नेता जयप्रकाशनारायण, डॉ.राममनोहर लोहिया, श्रीमती अरूणा आसफअली, अच्युत पटवर्धन, रामानंदन मिश्र, एन.जी.गोरे, अशोक मेहता आदि बीकानेर आए इनकी सारी व्यवस्था आर्यबन्धु, सत्यनारायण पारीक, मुरलीधर व्यास, जे.बगराहट्टा, दादा गेवरचंद, प्रताप कोचर आदि ने बड़ी सूझ-बूझ से करके अधिवेशन को सफल बनाया | भंवरलाल आर्यबंधु ने कई आन्दोलनों में बढ़चढ कर हिस्सा लिया जिसमें जिप्सम श्रमिकों का आन्दोलन जामसर, रोशनीघर मजदूर आन्दोलन, दूध निकासी आन्दोलन, नगर पालिका कर्मचारी आन्दोलन, अनाज निकासी आन्दोलन, बजरी खनिकों का आन्दोलन से समाजवादी गढ़ के रूप में बीकानेर की पहचान पूरे राजस्थान में बनी |  आर्यबंधु अखिल भारतीय स्वर्णकार संघ, बीकानेर फ्लोरमिल ओनर्स एसोसिएशन, बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति में विभिन्न पदों पर सक्रिय रहे | 60 वर्ष की उम्र में आर्यबंधु ने राजनीति छोडकर आर्य समाज में सक्रियता से भाग लेना शुरू कर दिया | 13 जुलाई 1999 को यह देह पञ्च तत्व में विलीन हो गई |

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