बीकानेर,जल संसाधन विभाग ने पूरी की टेंडर प्रक्रिया, राज्य व केंद्र स्तर पर ऋण स्वीकृति का कार्य पूरा, एनडीबी स्तर पर चल रहा प्रोसेस इंदिरा गांधी नहर परियोजना की रिलाइनिंग को लेकर जल संसाधन विभाग ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। इस बार 21 मार्च से प्रस्तावित 60 दिन की बंदी में पंजाब और राजस्थान में 130 किलोमीटर लंबाई में रिलाइनिंग का काम करवाया जाएगा। पंजाब क्षेत्र में 53 किलोमीटर कार्य 60 दिन में पंजाब द्वारा करवाया जाएगा, जबकि जल संसाधन उत्तर जोन हनुमानगढ़ की ओर से राजस्थान में 67 किलोमीटर रिलाइनिंग करवाई जाएगी। इस पर इंदिरा गांधी नहर परियोजना में 60 दिन की बंदी के दौरान पंजाब व राजस्थान क्षेत्र में रिलाइनिंग का काम होगा। राजस्थान में 250 करोड़ रुपए और पंजाब क्षेत्र में 430 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 30 दिन राजस्थान में पेयजल आपूर्ति होती रहेगी।
30 दिन का पूर्ण क्लोजर लेकर राजस्थान में इंदिरा गांधी मुख्य नहर व इंदिरा गांधी नहर की रिलाइनिंग का काम करवाया जाएगा। पंजाब और राजस्थान में 130 किलोमीटर रिलाइनिंग होने के बाद नहर की तस्वीर बदल जाएगी। इससे राजस्थान के 10 जिले के लोगों को लाभ मिलेगा। मुख्य रूप से सिंचित क्षेत्र के 4 जिलों के लाखों किसानों को बड़ा फायदा होगा रिलाइनिंग होने के बाद राजस्थान को हिस्से के अनुरूप पर्याप्त पानी मिल पाएगा, वहीं लोसेज भी घटेगा। इसी को ध्यान में रखते हुए जल संसाधन विभाग द्वारा रिलाइनिंग के काम को प्राथमिकता से करवाने का लक्ष्य तय किया गया है। निर्माण कार्य को एनडीबी से फाइनेंस स्वीकृति की प्रक्रिया तेज गति से चल रही है। राज्य व केंद्र स्तर पर सभी तरह की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। रिलाइनिंग होने के बाद 300 क्यूसेक से अधिक पानी को बचत होगी।
ये फायदा: मानसून अवधि में अतिरिक्त .पानी मिल सकेगा, लोसेज भी बच सकेगा
आईजीएनपी की रिलाइनिंग होने के बाद मानसून अवधि में राजस्थान के किसानों को अतिरिक्त पानी भी मिल सकेगा। वर्तमान में लाइनिंग डैमेज होने के कारण लगभग 10 हजार क्यूसेक पानी ही चल सकता है। ऐसे में हरिके बैराज के डाउन स्ट्रीम में अधिक बरसात होने के बावजूद आईजीएनपी में करवाया जाएगा। अतिरिक्त पानी नहीं लिया जा सकता। रिलाइनिंग का काम होने के अधिक पानी लिया जा सकेगा।
इंदिरा गांधी नहर परियोजना में 21 मार्च से 60 दिन की बंदी प्रस्तावित है। राजस्थान में 67 किलोमीटर में रिलाइनिंग करवाई जाएगी। इसकी टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। पंजाब क्षेत्र में 53 किमी लंबाई में पंजाब सरकार द्वारा कार्य अमरजीत सिंह मेहरड़ा, चीफ इंजीनियर, संसाधन उत्तर हनुमानगढ़
पंजाब और राजस्थान में 130 किमी होगी रिलाइनिंग, 680 करोड़ रुपए होंगे खर्च इसके बाद 300 क्यूसेक का लोसेज बचेगा
फ्लैश बैकः गत वर्ष 70 किमी रिलाइनिंग हुई थी, 300 क्यू. पानी की हुई बचत
गत वर्ष इंदिरा गांधी नहर परियोजना को 70 किलोमीटर रिलाइनिंग हुई थी। इससे करीब 300 क्यूसेक पानी की बचत हुई। पंजाब में 41 किलोमीटर रिलाइनिंग का लक्ष्य तय किया गया, लेकिन निर्धारित अवधि में 20 किलोमीटर ही रिलाइनिंग हो पाई। राजस्थान में 28 दिनों में रिकॉर्ड 49 किलोमीटर लंबाई में रिलाइनिंग का काम करवाया गया। राज्य में जल संसाधन विभाग के 150 अभियंताओं की देखरेख में दिन-रात काम चला। इसी कारण 28 दिनों में 49 किलोमीटर कार्य हो पाया। पंजाब और राजस्थान में करीब 70 किलोमीटर रिलाइनिंग होने से 300 क्यूसेक पानी की बचत हुई। इस बार अगर 130 किलोमीटर में काम हो जाता है तो इससे दोगुना फायदा होगा।
1961 में आईजीएनपी में आया था पानी 2021 में शुरू हुआ रिलाइनिंग का काम
इंदिरा गांधी नहर परियोजना में 1961 में जलापूर्ति शुरू हुई थी। पहली बार पंजाब क्षेत्र में वर्ष 2021 में रिलाइनिंग का काम हुआ। हालांकि राजस्थान में रिलाइनिंग के कार्य की शुरूआत 2018 में हो गई। थी। इससे पहले कभी रिलाइनिंग काम नहीं हुआ। इस कारण पंजाब क्षेत्र में आईजीएनपी की लाइनिंग जगह-जगह से डैमेज हो गई। 18 हजार 500 क्यूसेक क्षमता की नहर की लाइनिंग डैमेज होने के कारण इसमें 10 हजार क्यूसेक से अधिक पानी नहीं लिया जा सकता। गत वर्ष जनवरी में 9 हजार क्यूसेक पानी से ही पंजाब क्षेत्र में लाइनिंग धंस गई और किसानों की बारियां पीटी। इस कारण किसान भी लंबे समय से रिलाइनिंग करवाने की मांग कर रहे थे।
आईजीएनपी से प्रदेश के 4 जिलों का 16.17 लाख हेक्टेयर एरिया सिंचित
इंदिरा गांधी नहर परियोजना को पश्चिमी राजस्थान की लाइफ लाइन के रूप में भी जाना जाता है। आईजीएनपी के माध्यम से 4 जिलों में 16 लाख 17 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है। इसमें हनुमानगढ़ जिले का 1 लाख 15 हजार 461 हेक्टेयर और श्रीगंगानगर जिले का 2 लाख 67 हजार 181 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है। हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, चूरू, झुंझुनू, सीकर और नागौर सहित 10 जिलों में पेयजल आपूर्ति होती है।