Trending Now












जयपुर.राजस्थान सरकार पानी के लिए 68 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट्स बना चुकी है। ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा कराने का लम्बे समय से प्रयास चल रहा है। हरियाणा से यमुना का पानी और पंजाब से रावी व व्यास का पानी लाने पर प्रभावी काम होना है। इसके बावजूद हमारी नहरें और बांध सूखे पड़े हैं। जल आयोग इन्हें सुलझाने की बजाय जल विवाद अब भी बना हुआ है। केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री भी राजस्थान से ही हैं।

हरियाणा: यमुना का पानी

कब हुआ अनुबंध: वर्ष 1994 को बंटवारे को लेकर एमओयू हुआ। इसमें राजस्थान को ताजेवाला हैड से पानी देना तय किया गया। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व दिल्ली के मुख्यमंत्रियों के बीच समझौते हुआ।

हमारा हिस्सा: हमें ताजेवाला हैड से 1917 क्युसेक व औखला हैड से 1281 क्युसेक पानी दिया जाना तय हुआ था।

संशोधित प्लान: पेयजल और सिंचाई

के लिए पानी फेजवाइज लाएंगे। पहले चरण में 14204.81 करोड़ और दूसरे फेज में 17162.04 करोड़ रुपए लागत आंकी गई।

ऐसे होगा फायवाः सीकर और झुंझुनू की आवश्यकता पूरी हो सकेगी। चूरू व झुंझुनूं में करीब 1 लाख 5 हजार हैक्टेयर जमीन में सिंचाई हो सकेगी।

पंजाब सरकारः रावी और व्यास का पानी

कब हुआ अनुबंध: वर्ष 1981 में रावी और व्यास नदी से पानी देने के लिए राजस्थान और पंजाब सरकार के बीच समझौता हुआ। इसमें हरियाणा सरकार भी शामिल है।

हमारा हिस्साः हमें दोनों नदियों के

जरिए 8.60 एमएएफ (मिलीयन एकड़ फीट) पानी मिलना था। इसमें से अभी 8 एमएएफ पानी मिल रहा है। एक हिस्सा अब तक नहीं दिया गया।

ये प्रभावितः पश्चिमी प्रदेश के जिले

अटकने पर अपने-अपने तर्क:

राजस्थान सरकार का दावा है कि समझौते में पंजाब सरकार को 0.60 एमएएफ पानी का उपयोग करने की अनुमति थी। जबकि, पंजाब सरकार का तर्क है कि रावी और व्यास दोनों नदियों में इतना पानी ही नहीं है।

एमपी सरकार: ईस्टर्न कैनाल

कब हुआ अनुबंध: वर्ष 2005 में

समझौता हुआ। इसमें कुन्नू, कुल, पार्वती, कालीसिंध से बहने वाले अति. पानी राजस्थान में लाना तय हुआ।

हमारा हिस्साः नदियों से 50 प्रतिशत डायवर्जन पर पानी।

ये जिले प्रभावितः जयपुर, झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, अजमेर, टोंक, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर व धौलपुर तक पेयजल पहुंचाना है। जयपुर के रामगढ़ सहित अन्य बांध पुनर्जीवित हो सकेंगे। पांच जिलों में 2 लाख हैक्टेयर नए सिंचित क्षेत्र में सिंचाई की जा सकेगी।

अटकने पर तर्कः केन्द्र ने पानी बंटवारे का राग अलापते हुए मध्यप्रदेश और राजस्थान के पाले में गेंद डाल दी।

Author