जयपुर। शतप्रतिशत केपेसिटी के साथ स्कूलों को खोलने के बाद स्कूलों में कोरोना के मामले सामने आने लगे है जिससे अभिभावकों में हड़कम्प मच गया है और अब अभिभावक एक स्वर में आ गए है व राज्य सरकार, शिक्षा विभाग और स्कूलों से ऑनलाइन क्लास का संचालन करने की मांग कर रहे है। संयुक्त अभिभावक संघ ने दावा किया कि प्रदेश का 85 फीसदी अभिभावक अभी भी बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नही है वह केवल ऑनलाइन क्लास ही चाहते है। संघ ने कहा कि ” मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आठ साल बाद जयपुर को मिली क्रिकेट मैच की मेजबानी का राजनीतिक फायदा उठाने और बेटे की खुशी के दबाव में आकर जयपुरवासियों की जिंदगी से समझौता करते हुए शहर को मौत के कुएं में धकेल सकते है किंतु अभिभावक अपने बच्चों की जिंदगी से बिल्कुल भी समझौता नही कर सकते है, अभिभावकों का स्पष्ट कहना है वह स्कूल और सरकार की हठधर्मिता के चलते अपने बच्चों को मरने के लिए नही छोड़ सकते है।
संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत निजी स्कूलों और माफियाओ के आगे घुटने टेक चुकी है स्कूल और माफियाओ के दबाव में आकर सरकार ने स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर और शादी समारोह को शतप्रतिशत केपेसिटी से संचालन करने की अनुमति दी और अनुमति प्रदान करने के साथ ही प्रदेशभर में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे है। मुख्यमंत्री के इस निर्णय का हम कड़ा विरोध करते है और मांग करते है अगले 6 दिनों ने स्कूलों को केवल ऑनलाइन संचालन करने के आदेश देंवे अन्यथा अभिभावक पुनः सड़कों पर उतरेगा और अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए कुछ भी करेगा।
*अभिभावकों ने कहा ” स्कूल जबर्दस्ती दबाव बना रहे है, किन्तु हम स्कूलों से सहमत नही है नही भेजेंगे बच्चों को स्कूल, ऑनलाइन विकल्प उपलब्ध करवाए स्कूल और सरकार “*
कीर्ति नगर निवासी ऋतु अग्रवाल ने कहा कि उनके दो बच्चे है एक एमजीडी स्कूल अजमेरी गेट और दूसरा विद्या आश्रम स्कूल, जेएलएन मार्ग में पढ़ते है। राजस्थान सरकार के आदेश के बाद स्कूल से मेसेज आया था कि वह सोमवार से ऑनलाइन क्लास बन्द कर रहे है अब से केवल बच्चे स्कूल में ही पढेंगे, हम असमंजस की स्थिति में थे किंतु शहर का माहौल देखकर, कोरोना, डेंगू की स्थिति देखी, स्कूलों का व्यवहार देखा, सरकार की कार्य प्रणाली देखने के बाद हमने निर्णय लिया कि हम बच्चों को स्कूल नही भेजेंगे। स्कूल और सरकार को ऑनलाइन क्लास का विकल्प देना ही चाहिए, केवल फीस के बच्चों की जिंदगी से स्कूलों को समझौता नही करना चाहिए।
मानसरोवर निवासी कविता जैन ने बताया कि उनकी एक ही बच्ची है वह रियान इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ती है, स्कूल लगातार दबाव बना रहा है ऑनलाइन क्लास बन्द कर दी, किन्तु हमने अभी तक अपनी बच्ची को स्कूल नही भेजा है और आगे जब तक कोरोना का खतरा पूरी तरह से खत्म नही हो जाता है हम बच्ची को स्कूल नही भेजेंगे। स्कूल और सरकार को कोरोना और डेंगू जैसी महामारी को देखते हुए ऑनलाइन क्लास जा विकल्प देना ही चाहिए।
पत्रकार कॉलोनी निवासी सविता शर्मा ने कहा कि उनके दो बच्चे है एक सेंट एंसलन स्कूल और दूसरा केम्बीज कोर्ट स्कूल में पढ़ता है। हम भी अपने बच्चों के स्वास्थ्य और जिंदगी से कोई समझौता नही कर सकते है, सेंट एंसलम स्कूल ने अभिभावकों की बात सुनकर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनो विकल्प की छूट अभिभावकों को दी, केम्बीज कोर्ट स्कूल ने अभी तक कोई विकल्प नही दिया। वर्तमान स्थितियों को ध्यान में रखकर स्कूलों को अभिभावकों के साथ चलकर उनका साथ निभाना चाहिए और बच्चों को केवल ऑनलाइन विकल्प ही उपलब्ध करवाना चाहिए। हम बच्चों को जब तक स्कूल नही भेजेंगे जब तक कोरोना पूरी तरह से खत्म नही हो जाता।
संयुक्त अभिभावक संघ जयपुर जिला अध्यक्ष युवराज हसीजा ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री महात्मा गांधी स्कूलों की तारीफ कर वाह-वाही बटोर रहे है दूसरी तरह वह निजी स्कूलों और माफियाओ के दबाव में आकर बच्चों की जिंदगी से समझौता कर रहे है। मुख्यमंत्री पहले शतप्रतिशत कैपेसिटी के साथ स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान और शादी समारोह को खोलने की इजाजत देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ चुके है अब मुख्यमंत्री को असलियत देखकर अपने निर्णय की समीक्षा करनी चाहिए और अभिभावकों की ऑनलाइन क्लास की मांग को स्वीकार कर स्कूलों को आदेश देना चाहिए।
*मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री के दबाव में, शिक्षा मंत्री स्कूलों के संरक्षक*
संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि प्रदेश में कठपुतली की सरकार चल रही है मुख्यमंत्री स्वयं विवेक से फैसले ना लेकर शिक्षा मंत्री के दबाव ने आकर फैसले ले रहे है, जबकि प्रदेश के शिक्षा मंत्री प्रदेशभर के निजी स्कूलों के संरक्षक बने बैठे है। अब जब शिक्षा मंत्री को पता है कि उनका पद जाने वाला है तो वह प्रदेशभर के अभिभावकों पर तांडव कर अपना कहर बरपा रहे है जिससे वह हिटलर की तरह अपनी ख्याति को जीवन भर संजो सके। इसके लिए वह अभिभावकों और छात्र-छात्राओं को सरकार और प्रशासन के जरिये लगातार असहाय करते जा रहे है वही दूसरी तरफ निजी स्कूलों के जरिये अभिभावकों को प्रताड़ित करवा रहे है।