
बीकानेर,बेसिक पी.जी. महाविद्यालय, बीकानेर में ‘डिजिटल एआई के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव’ विषय पर एक अत्यंत विचारोत्तेजक वाद-विवाद प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में वेबसॉल कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट, बीकानेर के निदेशक डॉ. अमित व्यास उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री रामजी व्यास ने की, जबकि महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित ने प्रतियोगिता में मार्गदर्शन प्रदान किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें सभी अतिथियों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने सहभागिता की। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ.सुरेश पुरोहित प्रतियोगिता के उद्देश्य और महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का युग हमारे सामने है, और हमें इसके साथ चलना ही नहीं, अपितु इसे समझकर अपने सामाजिक और नैतिक ढांचे में समाहित करना भी है। आज की यह प्रतियोगिता विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास और उनकी तार्किक क्षमता को उजागर करने का एक प्रभावशाली मंच है। डॉ. पुरोहित ने बताया कि ऐसी प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास के साथ-साथ उन्हें सम-सामयिक तकनीकी विषयों पर सोचने और विचार व्यक्त करने का सशक्त मंच प्रदान करती हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वेबसॉल कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. अमित व्यास ने अपने उद्बोधन में कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता आज केवल तकनीकी क्षेत्र तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा, व्यवसाय और कृषि जैसे अनेक क्षेत्रों में क्रांति ला रही है। हमें इसकी संभावनाओं को पहचानना और इसके दुष्प्रभावों से बचने की दिशा में सतर्क रहना आवश्यक है। इस प्रकार की प्रतियोगिताएं युवाओं को जागरूक बनाती हैं और उन्हें तकनीक के प्रति समग्र दृष्टिकोण देती हैं। डॉ. व्यास ने यह भी कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता आज आधुनिक युग की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि बन चुकी है। यह हमारी कार्यशैली को तेज, सटीक और कुशल बना रही है, परंतु इसके साथ-साथ हमें इसके नकारात्मक पक्ष को भी समझना होगा। ऐसे आयोजनों से विद्यार्थियों में गहराई से सोचने और समझने की क्षमता विकसित होती है।
महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री रामजी व्यास ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि हमारे विद्यार्थियों ने जिस गहराई और तर्कशीलता के साथ डिजिटल एआई के पक्ष-विपक्ष में अपने विचार रखे, वह अत्यंत सराहनीय है। यह दिखाता है कि युवा पीढ़ी तकनीकी विषयों को केवल पढ़ नहीं रही, बल्कि उस पर विचार भी कर रही है। श्री रामजी व्यास ने सभी प्रतिभागियों, निर्णायकों एवं अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि विद्यार्थियों के अंदर तकनीकी विषयों को लेकर जागरूकता और तार्किक दृष्टिकोण विकसित करने में सहायक सिद्ध हुआ।
कार्यक्रम के समन्वयक की भूमिका श्रीमती कृष्णा व्यास एवं श्री बिशनाराम ने अत्यंत कुशलता से निभाई। प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने अत्यंत उत्साहपूर्वक भाग लिया और डिजिटल युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के विविध पहलुओं को प्रस्तुत करते हुए इसके सामाजिक, आर्थिक एवं नैतिक प्रभावों पर गंभीर विमर्श किया।
प्रतियोगिता का मूल्यांकन निर्णायक मंडल द्वारा किया गया, जिसमें डॉ. रोशनी शर्मा, सुश्री खुशबू शर्मा एवं श्रीमती सीमा शर्मा सम्मिलित थीं। सभी निर्णायकों ने प्रतिभागियों के विचारों की गहराई, प्रस्तुति शैली एवं तर्कशक्ति की सराहना की।
प्रतियोगिता में राघव पुरोहित ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया। द्वितीय स्थान पर केशव पुरोहित रहे, जबकि तृतीय स्थान लोकेश उपाध्याय ने प्राप्त किया। विजेताओं को स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री रामजी व्यास एवं महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित द्वारा अतिथि डॉ. अमित व्यास को प्रतीक चिह्न भेंट कर आभार प्रकट किया गया। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय व्याख्याता श्री हितेश पुरोहित द्वारा किया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के स्टाफ सदस्य डॉ. मुकेश ओझा, श्री वासुदेव पंवार, डॉ. नमामीशंकर आचार्य, डॉ. एम. एम. किराडू, श्रीमती माधुरी पुरोहित, श्रीमती प्रभा बिस्सा, सुश्री समीक्षा हर्ष, सुश्री चेताली पुरोहित, श्रीमती जयन्ती पुरोहित, श्री अमित थानवी, श्री शिवशंकर उपाध्याय आदि भी उपस्थित रहे।