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बीकानेर,बरसाती सीजन शुरू होने के साथ ही शहर में जर्जर पड़े सैंकड़ो मकान खतरे का सबब बने है। लेकिन इन मकानोंं को खाली कर ध्वस्त कराने के मामले में नगर निगम सुस्ती बरत रहा है। पुराने शहर के कई गली-मोहल्लों में करीब दो दर्जन ऐसे जर्जर मकान हैं, जो तेज बारिश में भरभराकर गिरे तो आसपास रहने वाले लोगों के साथ राहगीरों के लिए जान की आफत साबित होने की आशंका है। हालांकि बारिश के पिछले सीजन में एक मकान ढह जाने के बाद नगर निगम प्रशासन औपचारिकता निभाते हुए जर्जर मकानों के मालिकों को नोटिस जारी कर इतिश्री कर ली। इस मामले की पड़ताल में सामने आया है कि हर बार मानसून से करीब दो-तीन महीनें पहले नगर निगम अपने अभियंताओं के जरिए शहर का सर्वे करवाकर जर्जर और क्षतिग्रस्त मकानों को चिन्हित करवाने की कवायद करती है। बाद में इसी आधार पर संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए जाते हैं। इस बार तो अब तक यह सब कार्य भी नहीं हुआ। जिला प्रशासन का रवैया भी इस मामले में अगंभीर ही नजर आ रहा है। ऐसे में आगामी दिनों में अगर तेज बारिश किसी अनिष्ट का कारण बनती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा,इसका जवाब किसी के पास नहीं है। पिछले वर्षों के दौरान ऐसे मकानों का कुछ हिस्सा गिरने जैसे हादसे भी हुए हैं, लेकिन जिम्मेदारों और सरकारी तंत्र ने उन घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखा। इधर जर्जर मकानों के आसपास रहने वाले लोगों को हर समय अपने जान-मालकी चिंता सताती है। बारिश की मार से ये जीर्ण-शीर्ण बंद मकान कभी भी भरभराकर गिर कर आसपास रहने वाले लोगों व राहगीरों के लिए आफत का कारण बन सकते हैं। बारिश के दौरान हर बार जर्जर मकानों से आसपास के लोगों को खतरे का मुद्दा उठता रहा है।

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