बीकानेर,पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी द्वारा राज्य सरकार के द्वारा गांचर , ओरण के कब्जाधारियों को पट्टे जारी करने के निर्णय के खिलाफ बेमियादी धरना 42 वें दिन भी जारी रहा । आज धरना स्थल पर उपस्थित सैकड़ों गौ भक्तों ने विधान सभा परिसर में देह त्याग करने अपने हाथ खड़े कर इस कार्य के लिए अपने आप को प्रस्तुत किया । उल्लेखनीय है कि भाटी ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में एक गौ भक्त द्वारा विधान सभा परिसर में इस निर्णय के खिलाफ देह त्याग करने की बात कही थी । भाटी के इस पत्र की चर्चा दिनभर धरना स्थल पर होती रही इसी दौरान एक गौ भक्त ने खड़े होकर जयपुर स्थित विधान सभा परिसर में देह त्याग के लिए अपने आप को प्रस्तुत किया ।
इस माहौल में उपस्थित सैकड़ों गौ भक्तों ने अपने हाथ खड़े कर गाय के लिए देह त्याग की अपनी सहमति जतायी । आज गोचर दीवार निर्माण के लिए प्रतापसिंह खिचिया ने 11 हजार रूपये दिये वहीं सहयोग लगातार जारी हैं ।धरना स्थल पर गीतासार व गौ कथा का वाचन बालसंत श्रीछैल बिहारी जी द्वारा किया जा रहा है । वही समर्थन जताने दूरदराज गांव – ढाणियों से गौ भक्त धरना स्थल पर पहुंच रहे है । गौ भक्तों का आक्रोश चरम पर है ।
भाटी के प्रवक्ता सुनील बांठिया ने बताया मंजूदेवी – शिवशंकर किराडू दम्पति ने कथा की पूजा का दायित्व निभाया ।
इस अवसर पर गौ कथा करते हुए बालसंत श्रीछैल बिहारी ने कहा कि गाय के ग्रास को हड़पने वाले को पिशाच योनी मिलती हैं । इसलिए वैदिक सनातन संस्कृति ने सर्वश्रेष्ठ अनुष्ठान गोचर संरक्षण व गौ की सेवा को बताया गया है । प्रत्येक जीव गाय की सेवा करे एवं गीता का अनुसरण करें । बालसंत ने कहा सनातन संस्कृति में पंचगव्य हमारे समस्त मांगलिक कार्यों में काम आते हैं और ये सभी गौ माता से जुड़े हुए है यदि हम गौ संवर्धन का ख्याल नहीं रखेंगे व गोचर के प्रति नहीं चेते तो सम्पूर्ण मानवता विनाश की ओर चली जायेगी । धरती पर जब तक गाय है तभी तक सनातन संस्कृति का बोलबाला है । गाय के लिए प्राण देने के लिए प्रत्येक धर्म परावण मानव को आगे आना चाहिए व इसके लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए ।
बीकानेर जिले के बाहर से आये गौभक्तों का अभिनन्दन अंशुमान सिंह भाटी युवा नेता , देवकिशन चांडक समाजसेवी , ब्रजरतन किराडू ने किया ।
आज धरना स्थल पर मुख्य रूप से राधेश्याम राठी अध्यक्ष गौपाल गौ जनहित संस्थान , सुरेन्द्र तोषनीवाल , पूर्व पार्षद परमानन्द ओझा , गोपीकिशन गहलोत , हरीराम भादू माणकासर , हड़मान नाई चानी , गंगाराम सुथार राजासर भाटियान , सतपाल नायक , जवानाराम नायक , हरिसिंह भाटी नोखड़ा , अशोक कुमार छींपा नोखा , रामेश्वर सुधार , कैलाश उपाध्याय देशनोक सहित सैकड़ों लोग के अलावा शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों से पुरूष व महिलओं के जत्थे भाटी को समर्थन देने पहुंचे ।