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बीकानेर,कांग्रेस की वर्षों बाद विपक्ष की भूमिका में महंगाई के खिलाफ बडी रैली हुई है। लोकतंत्र में सरकारों को आईना दिखाने के लिए सशक्त विपक्ष चाहिए ही। कमजोर कांग्रेस ने मोदी सरकार की महंगाई परस्त नीतियों खिलाफ प्रभावी प्रदर्शन किया। इस रैली के माध्यम से राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस की पुर्नस्थापना का उद्देश्य सफल होता दिखाई नहीं दे रहा है। महंगाई के खिलाफ महारैली के मंच से देश में कोई प्रभावी संदेश संप्रेषित नहीं ही पाया है। बेशक रैली के आयोजन में पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। राष्ट्रीय कांग्रेस से लेकर प्रदेश कांग्रेस तक आयोजन सफल बनाने में रात दिन एक कर दिया। ए आई सी सी के पदाधिकारी रैली को सफल बनाने के लिए जयपुर में बैठ गए। यहां तक गहलोत सचिन को अकेले बंदा कमरे में बैठकर बात की। मतलब यह की रैली येनकेन प्रकारेण सफल हो। इन प्रयासों में कोई कोर कसर नहीं रखी गई। मंत्री और नेता भी पूरे प्रदेश से सामर्थ्य के अनुरूप भीड़ भी लाए। राजस्थान में कांग्रेस एक दिखाई दी। इन सबके बावजूद महारैली के मंच से मोदी सरकार का तख्त दिलाने या जनता मोदी सरकार की महंगाई परस्त नीति के खिलाफ जनता को उद्वेलित करने जैसा प्रभाव नहीं छोड़ा। राहुल गांधी महंगाई पर जनता को प्रभावी संदेश नहीं दे पाए। यह सच है कि जनता महंगाई से त्रस्त है। गिने चुने पूंजीपतियों और संघ से सरकार संचालित होने, हिंदू और हिंदुत्ववाद का घिस्सा पिटा मुद्दा राष्ट्रीय राजनीति को छू नहीं पाया। प्रियंका और राहुल मंच से प्रभावी संदेश दे नहीं पाए। गहलोत ने राज्यों में वित्तीय संकट को लेकर मोदी पर मारक सवाल उठाया है। फिलहाल तो कांग्रेस की महंगाई के खिलाफ महारैली की भीड़ को लेकर खुश हो लें। यह खुशी वाजिब भी है। राजनीतिक लाभ कितना मिलेगा समय ही बताएगा।

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