बीकानेर,मुख्यमंत्री जी आपकी सरकार ने राजस्थान में विवादों और संकट भरे उतार चढ़ाव के बावजूद अच्छा काम किया है। इसका श्रेय आपको ही जाता है। आपकी टीम में और भी सक्षम मंत्री होंगे ही। सरकार तो टीम स्प्रिट से ही चलती है, परंतु कोई ऐसा मत्री है क्या जिसे पूरे राजस्थान की जनता में उनके कार्यों के कारण सम्मान हो ? अपने अपने शहर और विधानसभा क्षेत्र के बाहर भी उनकी पैठ है। क्या आपने मंत्रियों के पावर सीज कर रखे हैं या वे अपने विधानसभा क्षेत्र तक ही सिमट कर रहना चाहते हैं। मेहनत करना ही नहीं चाहते। मंत्रियों के रवैये से उनका राजनीतिक कद घटा है। यह कोई लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है। घटना ताजी है _ पिछले दिनों रामेश्वर डूडी की माता जी के स्वर्गवास पर उनके परिवार में शोक जताने डा. चंद्रभान बीकानेर आए थे। वे अभी 20 सूत्रीय कार्यक्रम के उपाध्यक्ष हैं। डा.चंद्रभान प्रदेश कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। वे प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं। उन्हें खरी खरी कहने वाले नेता के रूप में तथा कांग्रेस पार्टी में कई लोग राजनीति के विचारक के रूप में भी मानते हैं। राष्ट्रीय और प्रदेश कांग्रेस में वे कई सुझाव भी देते रहे हैं। खैर ये बात दीगर है। मूल बात यह है कि डा. चंद्रभान से कांग्रेस के पदाधिकारियों ने बीकानेर सर्किट हाउस में शिकायत की थी कि बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र बीकानेर शहर का हिस्सा होते हुए भी यहां की जन समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं देता। इस सीट पर भाजपा की सिद्धि कुमारी विधायक है। कांग्रेस के कन्हैया लाल झंवर इस सीट पर कम वोटों से चुनाव हारे हैं। वे भी सुध नहीं लेते। जवाब में डा.चंद्रभान ने कहा कि कल्ला जी को बताओ अपनी समस्या वे यहां के मंत्री है । कांग्रेस पदाधिकारियों की शिकायत रही कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र और परकोटे के बाहर ध्यान ही नहीं देते। यह मंत्री पद संभाले नेता के प्रति गंभीर सवाल है। बेशक अपना विधानसभा क्षेत्र उस इलाके के विधायक की प्राथमिक जिम्मेदारी है, परंतु मंत्री होने के नाते पूरा राज्य उनकी जिम्मेदारी होती है। व्यवहार में मंत्री यह जिम्मेदारी नहीं निभाते है। ज्यादातर मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र को ही सर्वोपरि मान काम करते हैं। यही मंत्री पद की इतिश्री है। बाकी मंत्रालय का काम विभागीय गति और सरकार की नीति से चलता रहता है। ऐसे मंत्री अपने मंत्रालय में विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर इनिसेटिव नहीं लेते। ऐसा मंत्रियों का आम तौर पर व्यवहार हो गया है। अपने क्षेत्र को छोड़कर वे दूसरे क्षेत्र का दर्द नहीं लेते। यह मनोवृति तकलीफदेह है। उद्योग मंत्री शंकुतला रावत से बीकानेर के औद्योगिक विकास की बात की गई तो उनका सपाट जवाब था कि बीकानेर तो बहुत दूर है। जब उनको कहा गया कि आप राजस्थान की मंत्री हो केवल अलवर की नहीं। यह तो हमारे मंत्रियों की मनोदशा है। फिर जवाब था बीकानेर में कल्ला जी से पूछकर बताती हूं…। क्या मंत्रियों का यह गैर जिम्मेदारान व्यवहार नहीं है ? भंवर सिंह भाटी जब उच्च शिक्षा मंत्री थे तब बीकानेर का एज्यूकेशन हब बनाने का मुद्दा उठा। उनकी तरफ से कोई पहल या रेस्पॉन्स नहीं। उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र श्रीकोलायत में राज्य के किसी विधानसभा क्षेत्र की तुलना में सर्वाधिक कॉलेज खुलवाए। यह काम उन्होंने बेशक अच्छा किया परंतु क्षेत्र के उसी अनुपात में जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्र में कॉलेज नहीं खुले। अब वे ऊर्जा मंत्री है तो अपना विधानसभा क्षेत्र ही रोशन कर रहे हैं। बीकानेर जिले के लूणकरणसर का विधायक स्वीकृत विद्युत कनेक्शन के लिए आंदोलन कर रहा है। मंत्री पद मंत्रियों की सोच, मेहनत की कमी और जिम्मेदारी की ठीक से पालना नहीं कर पाने से इज्जत घटती जा रही है। क्या यह चिंताजनक बात नही है ? पूरे प्रदेश का सोचो मंत्री जी तभी आपका मंत्री बन सार्थक रहेगा जनता आशीर्वाद देगी अन्यथा आपका कार्यकाल भूल भुलैया में खो जाएगा। केवल मुख्यमंत्री ही जनता को याद रहेंगे।
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