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जयपुर, प्रदेश में बढ़ते अपराधों से जेलों का हाउस फुल, जिन जेलों में बंदियों के प्रतिशत का आंकड़ा सैकड़ा पार नहीं कर पाया था, वहां अब दोगुने बंदी है।प्रदेश की 58 जेलों में 100 प्रतिशत और नौ जेलों में 200 प्रतिशत से अधिक बंदी हैं। इन जेलों में अब स्थान कम पड़ता जा रहा है। प्रदेश में कुल 60 उप जेल हैं। इनमें रतनगढ़, नैनवा, भीनमाल और बालोतरा सब जेल में 200 प्रतिशत से अधिक बंदी हैं।

एक नजर में हालात
प्रदेश में नौ केंद्रीय कारागार अजमेर, अलवर, भरतपुर, बीकानेर, गंगानगर, जयपुर, जोधपुर, कोटा और उदयपुर में हैं। केन्द्रीय कारागृहों में आजीवन कारावास और 10 साल से अधिक और फांसी की सजा वाले बंदियों को रखा जाता है। अलवर में 68.69 प्रतिशत, भरतपुर में 90.18 प्रतिशत और बीकानेर में 76.17 प्रतिशत बंदी हैं।

ये भी हैं अन्य जेलों के हालात
देश में एक हाई सिक्योरिटी जेल घूघरा में है। इसमें हार्डकोर बंदियों को रखा जाता है। इस जेल की क्षमता 264 बंदियों की हैं, लेकिन यहां 71 बंदी हैं जो 26.89 प्रतिशत है। इसके अलावा विशिष्ट केन्द्रीय कारागृह श्यालावास दौसा में है, जहां पूरे प्रदेश के सजायाफ्ता बंदियों को रखा जाता है। यहां 700 बंदियों को रखा जा सकता है। वर्तमान में यहां 314 बंदी हैं।

– बी श्रेणी की 24 जेल हैं, जिनमें पांच जेलों डूंगरपुर, जालौर, नागौर, पाली और राजसमंद जेल में 200 प्रतिशत से अधिक बंदी बंद हैं।
– राज्य में सात महिला जेलें हैं। अजमेर में 50 महिला बंदी क्षमता वाली जेल में 31, भरतपुर में 100 की जगह 49, बीकानेर में 222 की जगह पर 63, जयपुर में 250 की जगह 106, जोधपुर में 200 की जगह पर 69, कोटा में 100 की जगह पर 35 और उदयपुर में 76 की जगह पर 58 महिला बंदी बंद हैं।
– जिला कारागृह ‘ए’ श्रेणी में 10 वर्ष तक की सजा वाले बंदियों को रखा जाता है। ए श्रेणी की दो जेल धौलपुर और टोंक में हैं। इनमें धौलपुर की जेल में 352 की जगह पर 269 और टोंक में 420 की जगह 398 बंदी हैं।
– उप कारागृहों में तीन माह तक की सजा से दंडित बंदियों को रखा जाता है। समस्त कारागृहों में विचाराधीन बंदियों को यथासंभव उनके विरुद्ध विचाराधीन प्रकरणों के न्यायालय के क्षेत्राधिकारानुसार अभिरक्षा में रखा जाता है।
– किशोर बंदी सुधारगृह में 18 से 21 साल उम्र के सजायाफ्ता महिला बंदी। यह जोधपुर जैतारण में है। इस जेल की क्षमता 20 बंदियों की है। फरवरी में यहां पर एक भी बंदी नहीं थी।
– राज्य में 39 खुला बंदी शिविर हैं। इनमें से बारां, बांसवाड़ा, बूंदी, दौसा, करौली, कोटा, राजसमंद, रतनगढ़, श्री कल्याण भूमि गौशाला गंगानगर और यूएन बीछवाल बीकानेर में 100 प्रतिशत या अधिक बंदी हैं।

जेलों में कैदियों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर कारागृहों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इसके साथ ही जेलों में बैरकों का निर्माण कराया जा रहा है। प्रदेश में खुली जेलों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी।
– टीकाराम जूली, जेल मंत्री, राजस्थान

आगे निकलने की होड़ में हर कोई सामने वाले से प्रेरित होता है और अपने इच्छापूर्ति के लिए गलत रास्तों का उपयोग करता है जिससे अपराध में लिप्त हो जाता है। इससे अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है और जेलों में संख्या बढ़ रही है।
– राजीव गुप्ता, समाजशास्त्री

जेलों में बंदियों की अधिक क्षमता को रोकने के लिए नई जेलें बननी चाहिए। बंदी के जेल में आचरण को देखते हुए खुला बंदी शिविर में संख्या बढ़ानी चाहिए। पैरोल के नियमों में भी उदारता रखनी चाहिए। जेलों में आचरण के आधार पर रेमीशन को भी बढ़ावा देना चाहिए।
– एसएस बिस्सा, रिटायर्ड आईएएस और जेल अधिकारी

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