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बीकानेर, शुद्धाध्दैव पंचम पीठ श्री गोकुल चन्द्रमाजी द्वारा संचालित श्री राज रतन बिहारीजी मंदिर व दाऊजी मंदिर में शुक्रवार को पुष्टिमार्गी परम्परानुसार डोल उत्सव भक्ति संगीत के साथ मनाया गया। पुष्टिमार्गीय आचार्यश्री विट््ठल नाथ बाबाजी (ब्रजांग बाबा) को भक्तों ने हवेली संगीत के होली के पदों के साथ होली खेलाई।
वैष्णवाचार्यश्री विट््ठल नाथ बाबाजी (ब्रजांग बाबा) ने प्रवचन में कहा कि पुष्टिमार्गी परम्परा में होली का उत्सव 41 दिन चलता है। आरंभ में वसंत के पद, वसंत बहार के पद गाये जाते है तथा ठाकुरजी को होली खेलाई जाती है। दूसरे दस दिन में होली डांडा रोपण से धमार एवं रसिया गायन आरंभ होता है। पुष्टिमार्ग में होली का अंतिम दिन डोल उत्सव के रूप् में मनाया जाता है। इस दिन पुष्टिमार्गीय मंदिरों में श्रीठाकुरजी को डोल झुलाया जाता है एवं रसिया धमार का गायन होता है एवं गुलाल, चैवा,इत्र, चंदन, अबीर, टेसू के जल से भव्य होली उत्सव मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि पुष्टिमार्गी परम्परा में भाव ही प्रधान है। भाव से ही भगवान मिलते है। सारी रचनाएं व हवेली संगीत भाव से भक्तों को भगवान से जुड़ने का मार्ग दिखाते हैं।
बीकानेर के दाउजी मंदिर व रतन बिहारी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालु गुलाल, इत्र व गुलाबजल आदि लेकर पहुंचने शुरू हो गए। वैष्णवाचार्यश्री विट््ठल नाथ बाबाजी (ब्रजांग बाबा) ने दोनों मंदिरों में आरती करवाई। आरती के मंदिर के मुखिया ने बाबाजी व उसके बाद भक्तों ने होली खेलाई। करीब 5 क्विंटल से अधिक रंग बिरंगी गुलाल से आचार्यश्री ने भक्तों को होली खेलाई। अनेक भक्तों ने हवेली संगीत के होली गीतों के साथ ठाकुरजी के दरबार में नृृत्य किया। पंचम पीठाधीश्वर, जगद्गुरु वल्लभाचार्यजी महाराज ने भी वर्चुअल माध्यम से होली की मंगल आशीष श्रद्धालुओं को दी।

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