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नई दिल्ली.जयपुर दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने सोशल मीडिया के जरिए अवैध हथियार बेचने वाले मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। इस सिलसिले में जोधपुर (राजस्थान) निवासी 38 साल के हितेश सिंह उर्फ लंगड़ा को गिरफ्तार किया गया है। उससे एक सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल और दो कारतूस बरामद हुए। जांच में पता चला कि उसके पाकिस्तान और राष्ट्र विरोधी तत्वों से रिश्ते हैं और वह 11 से ज्यादा आपराधिक मामलों में लिप्त है।

पुलिस के अनुसार सोशल मीडिया मॉनिटरिंग के दौरान कुछ पोस्ट्स में अवैध हथियारों की बिक्री का जिक्र मिला था। हथियार और गोला-बारूद की तस्वीरें भी डाली गई थीं। इनमें से एक ग्रुप लॉरेंस बिश्नोई गैंग के नाम पर था। लॉरेंस बिश्नोई की प्रोफाइल्स सर्च में एक फ्रेंड लिस्ट में हीरपाल सिंह (हितेश राजपूत) का नाम मिला। वह फेसबुक पर अवैध हथियार बेचता था। सोशल..राजस्थान पुलिस की पोल खुली…जयपुर, दिल्ली पुलिस की कार्रवाई राजस्थान पुलिस और राजस्थान एटीएस की निगरानी की पोल खोलती है। राजस्थान में हथियार तस्करों ने सोशल मीडिया पर सरेआम अवैध हथियार बेचने की दुकान सजा रखी है। राजस्थान पुलिस ने सोशल मीडिया पर हथियार के साथ फोटो डालने वालों की गिरफ्तारी शुरू की थी, जो कुछ दिन चली। बताया जाता है कि दिल्ली पुलिस की नजर हितेश सिंह पर यहां से ही पड़ी थी। वह कुख्यात लॉरेंस विश्नोई के संपर्क में था।

अलग-अलग रेट…अवैध हथियार तस्करों ने सोशल मीडिया पर अवैध हथियार की सप्लाई के लिए राजस्थान के 200 रुपए तो उत्तर प्रदेश के 1000 रुपए तय कर रखे हैं। इसी प्रकार हरियाणा, मध्यप्रदेश के 1500-1500, पंजाब के 1800 रुपए तय कर रखे हैं। राजस्थान की सबसे कम कीमत होने पर आशंका है कि तस्कर राजस्थान में अधिक सक्रिय हैं। वह 2000 रुपए में देशी कट्टा और 25,000 रुपए में पिस्टल बेच रहे हैं। इनके साथ कुछ राउंड कारतूस भी उपलब्ध करवाते हैं।

छोटों से ठगी, सिर्फ शातिरों को सप्लाई

पूछताछ में पता चला कि हितेश ने आपराधिक वारदातें 2010 में शुरू की थीं। उसने दोस्त के साथ मिलकर एक किताब की दुकान में चोरी की थी। बाद में वह बाइक चुराकर बेचने लगा। वह नौसिखिए बदमाशों को ठगता था और सिर्फ शातिर अपराधियों को हथियार सप्लाई करता था। हितेश सिंह राजस्थान के एक टोल पर हुई डकैती में भी शामिल था। इसमें टोल के पूरे स्टाफ को लिटाकर बुरी तरह पीटा गया था।

राजस्थान की कई जेलों में रहा, बढ़ाए संपर्क

पुलिस का कहना है कि हितेश राजस्थान की कई जेलों में रहा है, जहां उसने अपराधियों से संपर्क बढ़ाया। जेल में उसकी मुलाकात डकैत धन सिंह पीपरोली उर्फ ठाकुर धनु प्रताप सिंह राठौर से हुई, जो उसका गुरु बना हितेश सिंह 2013 में जोधपुर जेल से जमानत पर रिहा हुआ, तो धन सिंह ने उसे निजी बस सेवा के •मालिक शैतान सिंह टेकरा को मारने का काम सौंपा। हालांकि शैतान सिंह बाल-बाल बच गया।

पुलवामा हमले के लिए,अमेजन के जरिए खरीदा था केमिकल

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का कहना है कि 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले में जो केमिकल इस्तेमाल किया गया था. उसकी खरीद अमेजन के ई-कॉमर्स पोर्टल के माध्यम से की गई थी। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। एनआइए ने हमले की जांच के बाद 2020 में रिपोर्ट सौंपी थी। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. सी. भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि सार्वजनिक डोमेन पर उपलब्ध रिपोर्ट के अनुसार एनआइए ने जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया था. उसने जानकारी दी थी कि आइईडी बैटरी और बम बनाने के लिए रसायन की खरीद के लिए उसने अपने अमेजन शॉपिंग खाते का उपयोग किया।

स्वीटनर की आड़ में नशा,गांजे की ‘ऑनलाइन बिक्री’ पर कैट गरम

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के भिंड जिले बिक्री के आरोप में अमेजन इंडिया के कार्यकारी निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। कथित तौर पर इस ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए स्वीटनर की आड़ में गांजा बेचा गया। हालांकि अमेजॉन ने बयान में कहा कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर अवैध उत्पादों की बिक्री की अनुमति नहीं देता और जांच में सहयोग कर रहा है। कैट ने केंद्र सरकार से कार्रवाई की मांग की है। उसका कहना है कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को अमेजन के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि इसने विक्रेता के रूप में काम किया, पैसा एकत्र किए और कमीशन अर्जित किया। कैट ने कहा कि अगर गांजा पोर्टल के माध्यम से बेचा जा सकता है तो वह दिन दूर नहीं, जब अन्य राष्ट्र विरोधी गतिविधियां और मनी लॉन्डिंग भी पोर्टल से संचालित होगी।

पुलिस ने फेसबुक पर बिछाया जाल

सर्विलांस के जरिए हीरपाल सिंह की एक्टिव प्रोफाइल्स का पता लगाया गया। उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजकर डील की गई। उसने वीडियो शेयर किया और जो अकाउंट नंबर बताया, पुलिस ने उसमें एडवांस जमा कर दिया। पुलिस ने हितेश सिंह उर्फ लंगड़ा को हरियाणा के मानेसर से धर दबोचा। वह वहां बाकी पैसे लेने आया था। उसके मोबाइल फोन को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।

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