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बीकानेर,राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ के न्यायाधीश श्री अरूण भंसाली ने ग्राम विकास अधिकारी के पद पर ग्राम पंचायत सीथल, पंचायत समिति बीकानेर में कार्यरत श्री भागीरथ आचार्य की रिट याचिका को अंतरिम रूप से विचारार्थ स्वीकार करते हुए मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद बीकानेर द्वारा राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 के नियम 16 के अधीन दी गई आरोप पत्र दिनांक 10.06.2022 एवं निलम्बन आदेश दिनांक 17.6.2022 एव कार्यमुक्ति आदेश दिनांक 20.06.2022 पर रोक लगायी गयी।

भागीरथ आचार्य वर्तमान में ग्राम विकास अधिकारी ग्राम पंचायत सींथल, पंचायत समिति, बीकानेर, जिला परिषद बीकानेर में कार्यरत है। आचार्य को दिनांक 28.02.2022 के आदेश के तहत विकास अधिकारी द्वारा राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एंव अपील) नियम 1958 के नियम 16 के तहत आरोप पत्र जारी किया गया। प्रार्थी द्वारा उस आरोप पत्र को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी। उच्च न्यायालय ने उस आरोप पत्र को असक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया जाने के कारण एव राजस्थान पंचायती राज सेवा नियमों के विरूद्ध होने के कारण उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 11.03.2022 को स्थगित कर दिया गया।
उच्च न्यायालय के स्थगन के पश्चात दिनांक 6 जून 2022 को मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद बीकानेर द्वारा प्रार्थी को राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 के तहत नियम 17 के तहत आरोप पत्र दिया गया। इस आरोप पत्र के बाद दिनांक 10.06.2022 को मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद, बीकानेर द्वारा राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 के तहत नियम 16 के तहत आरोप पत्र जारी किया गया। इस आरोप पत्र के पश्चात दिनांक 17.06.2022 को मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद, बीकानेर द्वारा तत्काल उसकी सेवायें यह कहते हुए निलम्बित कर दी गयी कि उसके विरूद्ध नियम 16 व 17 के तहत जांच विचाराधीन है।
इस निलम्बन आदेश के विरूद्ध जब उसने जिला परिषद बीकानेर को अभ्यावेदन प्रस्तुत किया तब जिला प्रमुख द्वारा दिनांक 26.06.2022 को उसे यह सूचना दी गयी कि उसको निलम्बित करने से पूर्व जिला परिषद बीकानेर की स्थायी समिति/प्रशासन स्थायी समिति में न तो प्रकरण प्रस्तुत किया गया ना ही उक्त निलम्बन आदेश से पूर्व अनुमति ली गई अतः निलम्बन आदेश पंचायतीराज अधिनियम में अंकित प्रावधानों के विपरीत है।
प्रार्थी ने आरोप पत्र दिनांक 10.06.2022 निलम्बन आदेश दिनांक 17.06.2022 व कार्यमुक्ति आदेश दिनांक 20.06.2022 को अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी। उच्च न्यायालय के समक्ष प्रार्थी के अधिवक्ता का यह तर्क था कि सनद रहे कि प्रार्थी को दिनांक 28.02.2022 को विकास अधिकारी द्वारा जो आरोप पत्र दी गयी थी वो राजस्थान पंचायती राज सेवा नियमों के विरूद्ध असक्षम अधिकारी द्वारा जारी की गयी थी इसलिये उस पर उच्च न्यायालय ने रोक लगाई थी। अब मुख्य कार्यकारी जिला परिषद बीकानेर द्वारा नियम 16 के तहत दिनांक 10.6.2022 को जो आरोप पत्र दिया गया है तथा दिनांक 17.6.2022 को जो निलम्बन आदेश जारी किया गया एवं निलम्बन के पश्चात कार्यमुक्ति आदेश दिनांक 20.06.2022 जो जारी किया गया है वो भी राजस्थान पंचायती राज सेवा नियम के नियम 91(3) व राजस्थान पंचायती राज सेवा नियम 299(3) के विरूद्ध जारी किये गये है। साथ ही प्रार्थी का जो निलम्बन आदेश जारी किया गया है वह असक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया गया है। राजस्थान पंचायती राज नियमों के तहत प्रार्थी का नियुक्ति अधिकारी/सक्षम अधिकारी जिला परिषद बीकानेर है इसके बावजूद मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा उसे आरोप पत्र दिया गया व उसी के द्वारा उसे दिनांक 17.06.2022 के आदेश से निलम्बित भी कर दिया गया। असक्षम अधिकारी द्वारा किया गया निलम्बन आदेश विधि विरूद्ध एवं नियमों के विपरीत है।
निलम्बन आदेश जारी करने से पूर्व जिला स्थापना समिति की अनुमति या अनुमोदन भी नहीं करवाया गया है जो पत्र दिनांक 23.06.2022 से स्पष्ट परिलक्षित होता है।
राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद बीकानेर द्वारा प्रार्थी के विरूद्ध जारी आरोप पत्र दिनांक 10.06.2022, प्रार्थी के विरूद्ध जारी निलम्बन आदेश दिनांक 17.06.2022 एंव कार्यमुक्ति आदेश दिनांक 20.06.2022 को प्रथम दृष्टया अनुचित एवं असक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया मानते हुए सचिव पंचायती राज विभाग, निर्देशक पंचायती राज विभाग, मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद बीकानेर, विकास अधिकारी पंचायत समिति बीकानेर व जिला प्रमुख्य जिला परिषद बीकानेर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।

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