जोधपुर.बीकानेर,करणी औद्योगिक क्षेत्र में गंदे पानी के कारण हो रहे प्रदूषण पर उच्च न्यायालय जोधपुर ने सख्ती दिखाई है। राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल बीकानेर को औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण फैला रही इकाइयों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए छह सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने को कहा है। साथ ही यह कहा है कि यदि आवश्यक हो, तो रीको के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए।
मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल एवं न्यायाधीश संदीप मेहता की खंडपीठ में याचिकाकर्ता देवकिशन गलवाणी की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान बताया गया कि बीकानेर के करणी औद्योगिक क्षेत्र विस्तार में रीको ने कोई सीईटीपी या एसटीपी का निर्माण नहीं किया है। इसके बावजूद जल प्रदूषण पैदा करने वाले औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की अनुमति दे दी है। रीको ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मापदंडों का उल्लंघन किया है। रीको की ओर से कहा गया कि करणी औद्योगिक क्षेत्र विस्तार में केवल दो उद्योग कार्य कर रहे हैं।
करणी औद्योगिक क्षेत्र में बड़े भू भाग पर वर्षों से जमा हो रहे गंदे पानी का मामला एनजीटी तक भी पहुंचा हुआ है। पर्यावरण स्वीकृति की अवहेलना की शिकायत एनजीटी तक पहुंची। एनजीटी ने स्वत:संज्ञान लिया व जुलाई 2022 में आदेश पारित करते हुए संयुक्त कमेटी गठित की। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट एनजीटी में पेश कर दी। रिपोर्ट के विरुद्ध नारायण दास तुलसानी की ओर से प्राइमरी ऑब्जेक्शन एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत किए गए। इस पर भी मंगलवार को सुनवाई होनी है।
यह है मामला
करणी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित औद्योगिक इकाइयों सहित आस पास के आवासीय क्षेत्रों से निकलने वाला गंदा पानी बड़े क्षेत्र में वर्षों से एकत्र हो रहा है। रीको ने पर्यावरण स्वीकृति के समय यहां सीइटीपी बनाने की स्वीकृति दी थी, लेकिन आज तक यहां सीईटीपी नहीं बन पाया है। इस गंदे पानी का निस्तारण नहीं हो रहा है। इससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, मच्छर पनप रहे हैं व बदबू से लोग परेशान हो रहे हैं। रीको की ओर से अब तक यहां एसटीपी, ग्रीन एरिया, नाले नालिया निर्माण, डम्पिंग यार्ड आदि की भी पुख्ता व्यवस्थाएं नहीं की गई हैं। प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से जारी नोटिसों को भी रीको ने गंभीरता से नहीं लिया। नारायण दास तुलसानी के अनुसार, रीको ने यहां 145 प्लॉट बेच कर 150 करोड कमाए। परियोजना की लागत 114 करोड रुपए आंकी थी। जबकि पिछले दस सालों में रीको ने महज 22 करोड रुपए ही यहां खर्च किए हैं।
रीको के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश
खंडपीठ ने कहा कि उद्योगों को प्रदूषण पैदा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। रीको को यह देखना जरूरी है कि उचित सीईटीपी या एसटीपी स्थापित किए जाएं। यदि कोई उद्योग प्रदूषण फैला रहा है, तो उसके खिलाफ कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करनी होगी। कोर्ट ने सभी प्रदूषणकारी उद्योगों के खिलाफ और यदि आवश्यक हो, तो रीको के खिलाफ भी कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।