Trending Now

बीकानेर,केस एक :- श्रीगंगानगर जिले की ४५ वर्षीय कम्मोदेवी (बदला हुआ नाम) की एक जून को मौत हो गई। वह कोरोना संक्रमित थी। उसके फेंफड़ों को सर्वाधिक नुकसान हुआ था। आईसीयू में इलाज के दौरान दोपहर १२ बजे हार्ट अटैक आया और मौत हो गई।

केस दो :- शहरी क्षेत्र निवासी ४५ वर्षीय हरमोहन जाट (बदला हुआ नाम) कोरोना की पहली लहर में चपेट में आया। करीब १७ दिन तक अस्पताल में भर्ती रहा। कोरोना से ठीक हो गया। कोरोना से ठीक होने के करीब १३ महीने बाद ही उसे हार्ट में दिक्कत हो गई। अब हाल ही में उसे जयपुर से बाइपास सर्जरी करानी पड़ी है।

बीकानेर। कोरोना वायरस ने फेंफड़ों के बाद सर्वाधिक हृदय को नुकसान पहुंचाया है। वायरस ने रक्त वाहिकाओं पर बुरा असर डाला है। वायरस मरीज के अंदर सूजन पैदा करके रक्त के थक्के बना रहा है, जिससे दिल के दौरे पडऩे के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। कई मामलों में मरीजों की मौत तक हो चुकी हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो ६० फीसदी कोरोना के मरीज व ठीक हो चुके लोगों में कार्डियक समस्याएं देखने को मिल रही है। इनमें भी ५० फीसदी में मायोकार्डिअल इनफ्लेमेशन दिख रहा है, जिसके लक्षण दिल के दौरे से मिलते-जुलते हैं जैसे सीने में दर्द, सांस फूलना शामिल हैं। खून का थक्का (ब्लड क्लॉट) कोरोना से सबसे मौतों की बड़ी वजह है। मरीज स्वस्थ होने के बाद जब अस्पताल से घर पहुंचता है तो उसे हार्ट अटैक आता है और उसकी मौत हो जाती है। इसको ध्यान में रखकर अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाले मरीजों को खून पतला करने की दवा कार्डियोलॉजिस्ट की सलाह पर दी जा रही है।

हृदय रोग विशेषज्ञों की मानें तो वायरस शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करता है। इसी प्रकार कोरोना से हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। यह दिल की धमनियों में खून के थक्के जमा देता है। इससे रक्तचाप में दिक्कत होने लगती है। कई मरीजों में धड़कन कम या अधिक तेजी से चलने लगती है, जिससे हार्ट अटैक आ जाता है।

हल्दीराम मूलचंद कार्डियो एंड वेसक्युलर सेंटर पीबीएम अस्पताल के विभागाध्यक्ष डॉ. पिन्टू नाहटा ने बताया कि कोरोना के कुछ कोरोना मरीजों में संक्रमण के कारण दिल की मांसपेशियों में सूजन की समस्या आ जाती है, सिसे हृदय का आकार बढ़ जाता है। रक्तचाप कम होने से मरीजों को दिल संबंधी दिक्कत होने लगती है। कोरोना वायरण के कारण फेंफड़ों की कार्यक्षमता घट जाती है, जिससे हृदय में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचती और हृदयघात होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। पीबीएम में कई मरीजों को आपातकाल में टेम्परेरी पेसमेकर तक लगाना पड़ा।

यह है हॉर्ट हॉस्पिटल के आंकड़े
डॉ. नाहटा के मुताबिक कोरोना के बाद रिकवर होने वाले मरीजों में हृदय संबंधी बीमारियों का आपस में लिंक है। कोरोना के बाद मरीजों में धड़कन कम व तेज होने, हार्ट की कार्डियोमायोपैथी, वाल्व में दिक्कत जैसी परेशानियां बढ़ रही है। कोरोना के बाद से अस्पताल में मरीजों की संख्या में ८ प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है। वर्तमान में ओपीडी ४०० से ४५० है। हर दिन ३० से ३२ मरीज भर्ती हो रहे हैं। भर्ती होने वालों में १८ से २० मरीज हार्ट अटैक के होते हैं। हर दिन तीन से चार मरीजों की मौत हो रही हैं।

एक नजर में…

– हार्ट हॉस्पिटल
– सालभर का ओपीडी एक लाख
– सालभर में भर्ती १० हजार ८००
– सालभर में ४९८ मरीजों की मौत

Author