बीकानेर। दिल तो बच्चा है जी। इसकी संभाल भी बच्चों की तरह करनी पड़ती है। दिल को नजरअंदाज कर तैलीय व धूम्रपान का सेवन करने वाले दिल को सिकोड़ रहे हैं। कोरोना महामारी ने फेंफड़ों के साथ हृदय पर घात कर रही है। ऐसे में खान-पान को संतुलित करने और योग व मेडिटेशन ही सहारा बन रहे हैं। पिछले सालों की तुलना में दिल के मरीजों में ३८ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। पीबीएम अस्पताल से संबद्ध हल्दीराम मूलचंद कार्डियो वेसक्युलर एंड रिसर्च सेंटर में कोरोना के बाद से सीने में दर्द,धड़कन का बढऩा, जी मचलना, सांस फूलना जैसी दिक्कतों के साथ मरीज पहुंच रहे हैं। इन समस्याओं में सर्वाधिक कोविड से उभर चुके मरीज है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद दिल के रोगियों की संख्या में पहले दो गुना ज्यादा इजाफा हुआ है।
बढ़ रही चिंता
कोरोना सालों का दर्द दे रहा है। कोरोना संक्रमण से उबरे लोगों में नित नई समस्याएं उभर रही है। हार्ट हॉस्पिटल की ओपीडी व इमरजेंसी में आने वाले मरीजों में २० स २५ मरीज ऐसे है, जिन्होंने कोरोना को मात दी है। वहीं हृदय रोग विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना के बाद हृदय बीमारी से ग्रसित होने वालों के अलावा ऐसे मरीज भी ज्यादा आ रहे हैं जो पहले से किसी न किसी दिल से जुड़ी बीमारी से ग्रसित है। उच्च कोलेस्ट्रोल व उच्च रक्तचाप वालों को ज्यादा समस्या हो रही है। हार्ट हॉस्पिटल में हाथ-पैर की ऑर्टरी में ब्लॉकेज के दो मामले, एक मामला ब्रेन स्ट्रोक और नौ मामले हार्ट अटैक के आ चुके हैं।
धीरे-धीरे बढ़ रहा ओपीडी
हार्ट हॉस्पिटल के आंकड़ों के मुताबिक ओपीडी धीरे-धीरे बढ़ रहा है। वर्तमान में ४५० से ५५० तक ओपीडी पहुंच गया है। अधिकतर लोगों में एंजाइटी एवं धड़कनें बढऩे की समस्या है। वर्तमान दौरान हार्ट अटैक के ४० फिसदी मामले बढ़ गए हैं। एक दिन एक-दो की हार्ट अटैक से मौत हो रही है। चिंता की बात है कि मरने वालों में ३० से ४५ साल तक के ज्यादा हैं। ओपीडी में आने वाले मरीजों में हर सातवां मरीज पोस्ट कोविड वाले होते हैं। उन्हें हार्ट अटैक, छाती में दर्द की शिकायत रहती है। कई मरीजों में पंपिंग क्षमता भी कम देखी जा रही है।
दिल की बीमारी के लक्षण
– सीने में तेज दर्द
– जी मचलना
– धड़कन का बढऩा
– सांस फूलना
– पैर या बजुओं में दर्द
– पैरों या भुजाओं में सुन्नापन
– थकान
दिल की बीमारी से बचने के लिए यह करें
– दैनिक भोजन में सब्जियां, फल, अनाज फाइबर का सेवन बढ़ाएं।
– नमक का सेवन ठीक-ठाक हो
– उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थ लाल मांस, डेयरी उत्पाद, नारियल और ताड़ के तेल, उच्च ट्रांस-फैट सामग्री फास्ट फूड, बेकरी उत्पाद, पैकेज्ड फूड से बचना चाहिए।
रक्तवाहिनियों में बन रहे खून के थक्के
पोस्ट कोविड या सामान्य मरीजों की हृदय धमनियों में खून के थक्के और नसों में ब्लॉकेज मिल रहे हैं। इलाज के लिए एंजियोप्लास्टी की जा रही है। तीन फीसदी मरीजों को बाइपास की जरूरत पड़ रही है। कोरोना के बाद अस्पताल के हर पखवाड़े में दो-तीन मरीज ऐसे आ रहे हैं, जिनको बाइपास सर्जरी की जरूरत है। कोरोना संक्रमित मरीज की रक्तवाहिनियों में खून के थक्के बन जाते हैं, जिसकी वजह से दिल का दौरा पडऩे का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ. पिन्टू नाहटा, विभागाध्यक्ष हल्दीराम मूलचंद कार्डियो वेसक्युलर एंड रिसर्च सेंटर पीबीएम अस्पताल