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जोधपुर। अपने गुरुकुल की नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले में मरते दम तक कारावास की सजा भुगत रहे आसाराम की सजा के खिलाफ पेश अपील पर आज सुनवाई नहीं हो पाई। पीड़िता के वकील ने तबीय ठीक नहीं होने के कारण समय मांगा। अब इस मामले की सुनवाई दो दिन बाद बीस जनवरी को होगी।

 

आसाराम के अधिवक्ता ने पिछली सुनवाई के दौरान तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लांबा की लिखित पुस्तक ‘गनिंग फ़ॉर द गॉड मैन’ का हवाला देते हुए जांच प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया था। पिछले सुनवाई पर आसाराम की ओर से तत्कालीन पुलिस उपायुक्त पश्चिम अजय पाल लांबा की साक्ष्य रिकॉर्डिंग के लिए तलब करने का प्रार्थना पत्र पेश किया गया था। आसाराम की ओर से कहा गया कि तत्कालीन पुलिस आयुक्त जोधपुर में मामला दर्ज होने से पहले घटनास्थल का जायजा लेकर वीडियो बनाया था, इस मामले को लेकर लिखी गई किताब में उन्होंने इसका जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि इस तथ्य का परीक्षण होना आवश्यक है।

 

राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रार्थना पत्र की प्रति पीड़िता के अधिवक्ता पीसी सोलंकी को दी गई थी। पीड़िता के वकील पीसी सोलंकी को आज इस मामले में बहस करनी थी, लेकिन तबीयत खराब होने के कारण वे पेश नहीं हो पाए। उनकी तरफ से कहा गया कि कुछ समय प्रदान किया जाए। न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई दो दिन बाद करने का आदेश दिया।

 

यह है मामला

 

आसाराम आसाराम के गुरुकुल में पढ़ने वाली एक नाबालिग छात्रा ने आरोप लगाया कि पंद्रह अगस्त 2013 को आसाराम ने जोधपुर के निकट मणाई गांव में स्थित एक फार्म हाउस में उसका यौन उत्पीड़न किया। बीस अगस्त 2013 को उसने दिल्ली के कमला नगर पुलिस थाने में आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज कराया। जोधपुर का मामला होने के कारण दिल्ली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने के लिए उसे जोधपुर भेजा। जोधपुर पुलिस ने आसाराम के खिलाफ नाबालिग का यौन उत्पीड़न करने का मामला दर्ज किया। जोधपुर पुलिस 31 अगस्त 2013 को इन्दौर से आसाराम को गिरफ्तार कर जोधपुर ले आई। उसके बाद से आसाराम लगातार जोधपुर जेल में ही बंद है। अप्रैल 2018 में कोर्ट ने उसे मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई थी।

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