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बीकानेर, आगामी सत्र 2026 -27 पहली अप्रैल से शुरू करने के सम्बन्ध में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में हेल्दी डिस्कशन किया गया। प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा), राजस्थान के प्रदेश-समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने इस दौरान कहा कि अचानक सत्र को 01 अप्रैल से शुरू करने का निर्णय जल्दबाजी में किया गया है। ऐसा करने से पहले निजी स्कूल्स से किसी भी तरह से सुझाव तक नहीं लिए गए। इस दौरान संभावित समाधान के रूप में पाठ्यक्रम (सिलेबस) में कटौती करने का सुझाव देते हुए खैरीवाल ने कहा कि यदि वर्तमान परिस्थितियों और उपलब्ध समय को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम के कुछ गैर-आवश्यक हिस्सों को कम कर दिया जाए तो शेष पाठ्यक्रम को विद्यार्थियों द्वारा बेहतर ढंग से समझा और आत्मसात किया जा सकेगा। इस अवसर पर लोकेश जैन ने कहा कि निर्धारित समय में संपूर्ण पाठ्यक्रम को पूरा करने में छात्रों और शिक्षकों को कठिनाई आ सकती है। जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित होना सुनिश्चित है। चर्चा के दौरान प्रमोद चौधरी ने कहा कि ​यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने की दिशा में देखा जा रहा है। लेकिन बीच सत्र में ऐसा करना छात्र हित के लिए उचित नहीं है। गुणवत्ता अनुभाग के सहायक निदेशक जितेन्द्र सिंह राजपुरोहित ने इस दौरान कहा कि कोर्स में कटौती के लिए विभिन्न विचार आ रहे हैं। इस संबंध में जो भी संभावनाएं उचित होंगी, उन पर विचार कर लागू किया जाएगा।
​इस अवसर पर पंजीयक शिक्षा विभागीय परीक्षाएं विभाग के सहायक निदेशक अरविन्द शर्मा ने कहा कि परीक्षा फीस के लिए एसबीआई कलेक्ट एप्प एक अच्छा नवाचार है। इसके माध्यम से कुछ क्लिक्स में ही परीक्षा फीस जमा कराई जा सकती है। उन्होंने कहा कि यदि सभी प्राईवेट स्कूल्स पी एस पोर्टल पर प्रपत्र 7 को प्रोपर ली फीड कर देते तो सभी स्कूल्स के लिए एक यूनिक परीक्षा कोड जनरेट किया जा सकता था लेकिन 75% से अधिक प्राईवेट स्कूल्स द्वारा इस प्रपत्र की पूर्ति नहीं किए जाने के कारण ऐसा नहीं किया जा सका। उन्होंने बताया कि वैकल्पिक रूप से पीएसपी कोड से इसका उपयोग किया जा सकेगा। लेकिन भविष्य में एक यूनिक कोड आवश्यक रहेगा।
पैपा के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने एसएलएफसी हेतु पोर्टल को वापस अनलॉक करने हेतु निदेशक सीताराम जाट से निवेदन भी किया।

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