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बीकानेर, कोरोना की दूसरी लहर ने कई लोगों की सांसों की डोर तोड़ दी वहीं कुछ लोग ऐसे थे, जिनके बचने की चिकित्सक व परिजन उम्मीद छोड़ चुके थे लेकिन मरीजों के हौसले और चिकित्सकों के विश्वास ने मौत को भी मात दे दी। अब वे लोग स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। ऐसे कई उदाहरण है जो मौत के मुंह से निकल कर आए हैं।

बाहरी राज्य से आकर लोगों ने लिया उपचार
पीबीएम अस्पताल में संभागभर व प्रदेशभर से ही नहीं दूसरे राज्यों से आकर भी लोगों ने उपचार लिया। दिल्ली में बीकानेर निवासी दो महिलाएं कोरोना की चपेट में आ गई। वहां उन्होंने अस्पताल में बैड तक नहीं मिला। ऐसे में परिजनों ने यहां समाजसेवी महावीर रांका व पवन महनोत से संपर्क किया। परिजनों की ओर से मजबूरी बताने पर उन्होंने बीकानेर बुलाया। यहां पीबीएम अस्पताल में भर्ती कराया और उनके लिए ऑक्सीजन, रेमडेसिविर सहित अन्य सभी इंतजाम किए।

उम्मीद छोड़ चुके थे पर भगवान साथ था
बीकानेर के पवनपुरी निवासी ४० वर्षीय धीरज कोरोना की चपेट में आ गए। चिकित्सकों ने उनकी एचआरसीटी जांच कराई जो २४ थी। सांस में तकलीफ हो गई। ऑक्सीजन लेवल लगातार गिर रहा था। पीबीएम अस्पताल में मरीजों की भरमार थी। ऐसे में परिजनों ने उन्हें शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया। करीब १५ से २० भर्ती रहने के बावजूद कुछ सुधार नहीं हुआ। चिकित्सकों ने रेमडेसिविर, टैसीलीजुमैब सहित सभी तरह के उपचार दिए। चिकित्सकों ने अथक प्रयास किया। बाद में धीरे-धीरे सुधार होने लगा। अब वह ठीक होकर घर पर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। धीरज के छोटे भाई बताते हैं कि हालात खराब होने पर एकबारगी हम परिवार जन उम्मीद छोड़ चुके थे। ईश्वर और चिकित्सकों पर भरोसा था। चिकित्सक भगवान बनकर दुख की घड़ी में हमारे साथ डटे रहे। चिकित्सकों की बदौलत अब बड़े भइया हमारे साथ है।

दिल्ली में नहीं मिला बैड, तब बीकानेर आए नाल हाल पूर्व दिल्ली के कृष्णा नगर निवासी ६४ वर्षीय ममोल देवी गुलगुलिया कोरोना पॉजिटिव हुई। दिल्ली में किसी भी अस्पाल में बैड नहीं मिला। परिजन बीकानेर ले आए। यहां उन्हें पीबीएम के कॉविड हॉस्पिटल में भर्ती किया। आईसीयू में सात दिन रही। एचआरसीटी १८ से अधिक था। ऐसे में उनकी हालत नाजुक थी। करीब दस दिन तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद आखिरकार मौत को मात देकर वह ठीक होकर घर लौटी। ममोल देवी के बेटे सुशील गुलगुलिया ने बताया कि दिल्ली में तबीयत खराब होने पर यहा चिकित्सकों को दिखाया। अस्पताल में बैड नहीं होने एवं ऑक्सीजन की कमी होने पर बीकानेर ले गए। बीकानेर में परिचितों की मदद से पीबीएम अस्पताल में भर्ती कराया। अब माताजी एकदम स्वस्थ है। हम परिवार बीकानेरवासियों और वहां के चिकित्सकों के हमेशा ऋणि रहेंगे।

शुक्रगुजार हूं दोस्तों व चिकित्सकों का, आज मां हमारे साथ है गंगाशहर के इन्द्रा चौक हाल दिल्ली निवासी ५४ वर्षीय राजूदेवी हीरावत कोरोना पॉजिटिव हुई। एचआरसीटी जांच २१ था। घर-परिवार के सब लोग घबरा गए। दिल्ली में उस दरम्यिान कोरोना मरीजों की भरमार थी। अस्पतालों में बैड, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन व आईसीयू में बैड के लिए मारामारी चल रही थी। बीकानेर में रहने वाले मित्र पवन महनोत से संपर्क किया। तब २७ अप्रेल को बीकानेर लाकर उन्हें पीबीएम अस्पताल में भर्ती कराया। सात दिन तक आईसीयू में रही। बाद में सामान्य वार्ड में शिफ्ट किया। स्वस्थ होने पर छुट्टी देकर घर भेज दिया। राजदूवी के बेटे प्रियांशु हीरावत ने बताया कि माताजी की एचआरसीटी २१ था। हालात चिंताजनक थी। चिकित्सकों के अथक प्रयास से वह ठीक हो गई। अब घर-परिवार में खुशी का माहौल है। एकबारगी परिवारजन उम्मीद ही छोड़ चुके थे लेकिन ईश्वर चाहता था माताजी हमारे साथ रहे और वे साथ है।

एक नजर में पीबीएम
– एसपी मेडिकल कॉलेज की कोरोना लैब
– सैम्पलों की जांच ५,२७, ८९४
– पॉजिटिव ६४,२८०
– बीकानेर में पॉजिटिव ४६५०२
– अब तक मौत ५४४

मरीज का इलाज करना चिकित्सकीय धर्म है। मरीज बीकानेर का है या बाहर का इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मरीज की जान बचाना मुख्य उद्देश्य होता है। मरीज ठीक होकर जाता है तो खुशी मिलती है वह किसी भी धन-दौलत से बड़ी है। पीबीएम में भर्ती हुए छह हजार से अधिक लोगों को बचा सके यह खुशी है लेकिन इस साल ३७८ की जान चली गई, जिन्हें बचा नहीं सके, इसका दुख भी है।
डॉ. सुरेन्द्र वर्मा, कोरोना नोडल ऑफिसर एवं प्रोफेसर मेडिसिन विभाग

खुशनसीब हूं जो कोरोना काल में आमजन की सेवा करने का मौका मिला। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर १२२, सिलेंडर ५३६, ऑक्सोप्लस मीटर ७५५ मरीजों के लिए उपलब्ध कराए। इतना ही नहीं कोविड पॉजिटिव ऐसे मरीज जिन्हें घर में भोजन बनाने की दिक्कत हुई, उन सभी को दो समय का भोजन मुहैया कराया। मास्क,सैनेटाइजर व पीपीई किट का वितरण किया। बीकानेर का हो या बाहरी हर किसी की मदद की।
महावीर रांका, समाजसेवी

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