बीकानेर,मानव धर्म प्रचार सेवा संस्थान के संयोजन में बंबलू निवासी हाल मीरारोड मुम्बई के धर्मपरायण भामाशाह आसदेव परिवार की धर्मपरायण माता धापुदेवी के पुत्र कान्ट्रेक्टर श्रीरामप्रताप आसदेव कुंदनमल आसदेव लक्ष्मण आसदेव नवरत्न मनोज पार्थ दिनेश आसदेव परिवार गांव बम्बलु हाल मीरारोड़ मुम्बई की यजमानी में बालसंत श्रीछैल विहारी महाराज की सन्निधि में नया शहर, सुथार मोहल्ला पारीक चौक स्थित भागवत बासा भवन में नवरात्रि हवन यज्ञ साधना अनुष्ठान अनवरत जारी हे।। पांचवें दिवस बालसंत श्री छैल विहारी महाराज द्वारा स्कंदमाता स्वरूप की पूजा से पुर्व सर्वप्रथम गणेश नवग्रह सप्त ऋषि मंडल पंचोपचार एवं षोडशोपचार के द्वारा विधिवत पूजन किया गया। तत्पश्चात श्री दुर्गा सप्तशती पाठ मंगल स्तोत्र के साथ श्रीसुक्तम ओर इंद्राक्षी एवं गायत्री बीज मंत्र के द्वारा 1008 आहुतियों से हवन-यज्ञ किया गया। संस्थान सचिव सीमा पुरोहित ने बताया कि नित्य प्रतिदिन ८ कन्याओं का कंजक स्वरूप में और एक बालक की भेरव स्वरूप में पुजन कर नवरात्रि भंडारा प्रसाद का भोग लगाया गया। संस्थान सचिव सीमा पुरोहित ने बताया।कि बालसंत श्रीछैल विहारी महाराज ने दोपहर कालीन नवरात्रि प्रवचन में माता के पांचवें स्वरूप माता कुष्मांडा देवी की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा नवरात्रि में पांचवें दिन देवी स्कंदमाता के रूप में पूजा जाता है।नवरात्रि के पांचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को स्कंद के नाम से भी जाना जाता है। भगवान स्कंद को माता पार्वती ने प्रशिक्षित किया था।
पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं स्कंदमाता। नवरात्रि में पांचवें दिन इस देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।शास्त्रों में इसका काफी महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। अतः मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है।उनकी पूजा से मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है। यह देवी विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली शक्ति है यानी चेतना का निर्माण करने वालीं। कहते हैं कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं स्कंदमाता की कृपा से ही संभव हुईं।