बीकानेर,क्रीड़ा भारती बीकानेर के बैनर तले राजस्थान के इकलौते आवासीय खेल विद्यालय सादुल स्पोर्ट्स स्कूल की व्यवस्थाओं में जारी अव्यवस्था और शिक्षा विभाग की लापरवाही के खिलाफ पूर्व और वर्तमान खिलाड़ियों ने मोर्चा खोल दिया है। इसे लेकर संगठन के दो उपाध्यक्ष और अपनी खेल विद्या में राजस्थान टीम का नेतृत्व कर चुके ये खिलाड़ी अपनी आने वाली खेल पीढ़ी के हित के लिए सोमवार से भूख हड़ताल पर बैठ गए, है।
क्रीड़ा भारती बीकानेर के अध्यक्ष गजेन्द्रसिंह राठौड़ ने बताया कि आंदोलन का आगाज कर चुके संगठन के उपाध्यक्ष दानवीरसिंह भाटी और भैरूरतन सारस्वत का सार्दूल स्पोर्टस स्कूल के समक्ष अनिश्चितकालीन अनशन दूसरे दिन भी जारी रहा। इस आंदोलन को संबंल देने कई वरिष्ठ खिलाड़ियों सहित विभिन्न समाजों के गणमान्य नागरिकों ने भी धरना स्थल पर पहुंचे और उनकी मांगों को जायज ठहराया।
राजस्थान बास्केटबॉल टीम के पूर्व कप्तान दानवीरसिंह भाटी ने बताया कि उनका यह कदम लंबे समय से आंखे मूंदे बैठे शिक्षा विभाग की नींद खोलने और खिलाड़ियों के हितों की रक्षा के लिए उठाया है। भाटी ने बताया कि उनकी यह लड़ाई शिक्षा विभाग की उदासीनता के खिलाफ पिछले पांच साल से लगातार जारी है। भाटी ने बताया कि जब तक शिक्षा विभाग इस मामले में सकारात्मक कदम उठाते हुए तत्काल कार्रवाई का लिखित में आश्वासन नहीं देता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
क्रीड़ा भारती के बैनर तले शुरू हुए इस आंदोलन के तहत दिए जा रहे धरने को भाजपा नेता नरेन्द्रसिंह भाटी हदां, विप्र फाउण्डेशन के युवा मोर्चा अध्यक्ष पंकज पिपलवा, महामंत्री दिनेश ओझा, अभाविप के विभाग प्रमुख धीरज सिंह शेखावत, जिला संयोजक पुनीत शर्मा, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष गोवर्धन सिंह लोहरकी, भाजपा युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष गोविन्द कृष्ण सारस्वत, क्षात्र पुरूषार्थ फाउण्डेशन के रविन्द्र सिंह मोकलसर, राहुल थानवी, गणेश धोबी, नवल सिंह बेलासर ,हर्षित व्यास सहित विभिन्न समाजों के गणमान्य लोगों ने मौके पर पहुंचकर समर्थन दिया।
इन मांगों को लेकर किया जा रहा आंदोलन
1. बच्चों की डाइट मनी 100 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये प्रति खिलाड़ि करना ।
2. प्रशिक्षक के खाली पदों पर डिप्लोमाधारी प्रशिक्षको की नियुक्ति करना ।
3. वर्षों से बंद पड़ी डिस्पेंसरी और स्विमिंग पूल को शुरू करना।
4. खाना बनाने के लिए 5 स्थाई कुक की नियुक्ति।
5. खेल उपकरणों के बजट को ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख करना।
6. खेल मैदानों और हॉस्टलों की बुनियादी सुविधाओं का सुधार (कूलर, गीजर आदि)।