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बीकानेर,देश के कई शहरों में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के मामलों में लगातार कमी आ रही है. दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में संक्रमण का पीक निकल चुका है, जबकि केरल, कर्नाटक में केस तेजी से बढ़ ऐसे में सवाल उठता है कि देश में कोरोना की इस लहर का पीक कब तक आएगा. क्या आने वाले दिनों में राष्ट्रीय स्तर (National level) पर केस बढ़ते रहेंगे या जल्द ही कोरोना के मामलों में कमी देखी जाएगी.

सफदरजंग अस्पताल के मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर ने बातचीत में बताया कि देश में अब संक्रमण के दैनिक मामलों में ज्यादा इजाफा नहीं होगा. राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना का पीक बीत चुका है. आने वाले 15 दिन से लेकर महीने भर तक कोरोना के मामले में गिरावट देखी जाएगी, लेकिन कुछ लोकल इलाकों या राज्यों में छोटे-छोटे पीक आते रहेंगे. जैसे की किसी छोटे शहर में कोरोना का पीक आएगा. फिर चला जाएगा. इसके बाद अन्य किसी शहर में पीक देखने को मिलेगा, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण के मामलों में कमी देखी जाएगी. डॉ. के मुताबिक, ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron variant) के चलते कोरोना के मामलों में उछाल थोड़े समय के लिए ही रहता है. मरीजों में रिकवरी काफी तेज होती है. जिन इलाकों में केस बढ़ भी रहे हैं वहां हॉस्पिटलाइजेशन या मौतों की संख्या नहीं बढ़ रही है. ऐसे में अब कोरोना को लेकर ज्यादा पैनिक होने की जरूरत नहीं है. बस जरूरी है कि लोग कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते रहें.

जल्द से जल्द खुलने चाहिए स्कूल

डॉ. किशोर का कहना है कि पिछले 2 साल से हम देख रहे हैं कि बच्चों में संक्रमण का असर ज्यादा गंभीर नहीं होता है. सीरो सर्वे से भी पता चला था कि डेल्टा वैरिएंट (Delta variant) के कारण आई दूसरी लहर के दौरान बच्चे काफी संख्या में कोरोना से संक्रमित हुए थे, लेकिन उनमें कोरोना के गंभीर लक्षण नहीं देखे गए थे. इस लहर में भी बच्चे बीमार नहीं हुए हैं. बच्चों की इम्यूनिटी (Immunity) बड़ों की तुलना में काफी अच्छी होती है. चूंकि ओमिक्रॉन वैरिएंट के सामान्य फ्लू की तरह है इसलिए अब समय आ गया है कि स्कूलों को खोल दिया जाए. महाराष्ट्र की तरह अन्य राज्यों को भी स्कूलों को खोलने पर विचार करना चाहिए. डॉ. का कहना है कि स्कूलों को बंद हुए काफी समय बीत चुका है. इससे बच्चों का काफी नुकसान हो रहा है.

सभी बच्चों को वैक्सीनेशन की नहीं है जरूरत

डॉ. किशोर का कहना है कि बच्चों में कोरोना का असर बेहद हल्का रहता है. ऐसे में जरूरी नहीं है कि सभी बच्चों को वैक्सीन (Vaccine) लगाई जाए. अगर ऐसा सोचा जा रहा है कि वैक्सीन लगने के बाद ही स्कूल खोलें जाए तो यह ठीक नहीं है. डॉ. के मुताबिक, बच्चों पर टीका लगवाने की कोई बाध्यता नहीं होनी चाहिए. माता-पिता को यह समझाना चाहिए कि उनकी मर्जी है कि वह अपने बच्चों को वैक्सीन लगवाएं या नहीं.

ब्रिटेन की तरह मास्क फ्री नहीं हो सकते

ब्रिटेन में मास्क पहनना है या नहीं, अब लोगों के ऊपर छोड़ दिया गया है. लेकिन भारत में ऐसा करना एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है. डॉ किशोर का कहना है कि ब्रिटेन और भारत की आबादी में काफी बड़ा अंतर है. वहां का हेल्थ सिस्टम भी हमारे देश से अलग है. ऐसे में भारत में मास्क फ्री होने जैसी गलती नहीं की जा सकती है.

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