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बीकानेर,हरियाणा पुलिस के डीएसपी शहीद सुरेन्द्र सिंह बिश्नोई एक आध्यात्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे। वे हवन करते थे और जाम्भाणी परम्परा का दृढ़ता पूर्वक पालन करते थे तभी तो अकेले ही निडरतापूर्वक अपराधियों से भिड़ गए और अपनी जान देकर पर्यावरण को बचाने के लिए एक बहुत बड़े और गंभीर अभियान को बल प्रदान कर गए। उनका बलिदान सदैव याद रखा जाएगा। उक्त कथन डीजीपी मेघालय एल आर बिश्नोई ने ‘पुलिस सेवा -एक कठिन कर्मयोग और जाम्भाणी दर्शन’ विषय पर जाम्भाणी साहित्य अकादमी द्वारा ज़ूम पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी में कही।
अकादमी के राष्ट्रीय प्रेस संयोजक पृथ्वी सिंह बैनीवाल ने बताया कि अकादमी द्वारा आयोजित यह संगोष्ठी हरियाणा पुलिस के जांबाज अधिकारी डीएसपी शहीद सुरेन्द्र सिंह बिश्नोई को समर्पित की गई, जिन्होंने अवैध खनन माफियाओं से जूझते हुए पहाड़, वृक्ष, वनस्पति और पृथ्वी की रक्षा करते हुए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया और सदा के लिए धरती माता की गोद में सो गए। सभी वक्ताओं ने उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि एल आर बिश्नोई ने कहा कि गुरु जाम्भोजी के बताए उन्नतीस नियमों का हम पुलिस सेवा में रहते हुए अक्षरशः पालन करें तो जनता में पुलिस की छवि बहुत आदर्श, कर्मनिष्ठ और परोपकारी हो सकती है। एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार भारत में पुलिस की छवि अच्छी नहीं है, जबकि यह सबसे कठिन सेवा है। पुलिस वाला एक तपस्वी की तरह सदैव ड्यूटी पर रहता है और अपनी जान हथेली पर रखकर बड़े-बड़े खतरनाक अभियानों को अंजाम देता है। पुलिस की वजह से ही आमजन निर्भय सोता है और अपराधी भयभीत रहता है। इस सेवा में इतनी त्याग, तपस्या होने के बाद भी इसकी आदर्श छवि नहीं है तो हमें इस पर गंभीरता से चिंतन करना होगा। गुरु जाम्भोजी के नियमों के अनुसार हम फरियादी के साथ संतोष,शील, मीठी वाणी और अपनत्व से व्यवहार करेंगे तो वह निश्चय ही हमें फरिश्ता समझेंगा और वह दिन भी दूर नहीं होगा जब लोग पुलिस को आदर, सम्मान और प्यार देंगे।
उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे किसी भी तरह के नशे से दूर रहें और अपने शरीर को स्वस्थ रखते हुए कठोर परिश्रम करें। आप बिना थके चाव और लगन से दिन में दस-बारह घंटे पढ़ेंगे तो कोई भी मंजिल आपसे दूर नहीं रहेगी। उन्होंने मेघालय अथवा पूर्वोत्तर के किसी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर जाम्भाणी साहित्य अकादमी को वहां एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करवाने का भी आश्वासन दिया ताकि पूर्वोत्तर के राज्यों में गुरु जाम्भोजी की पर्यावरणीय चेतना से भरपूर सर्वहितकारी वाणी का प्रचार प्रसार हो।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आईजीपी गोआ ओमवीर सिंह बिश्नोई ने कहा कि वास्तव में पुलिस सेवा कठिन कर्मयोग है परन्तु इस कर्मयोग का सम्यक प्रकार से पालन करने से हम अपने और जनता दोनों के जीवन को सुखमय बना सकते हैं। गुरु जाम्भोजी ने कर्म पर बहुत जोर दिया है। अकर्मण्यता उन्हें बिल्कुल स्वीकार नहीं है। उन्होंने तो जप आदि भी बैठकर नहीं बल्कि हाथ से काम करते हुए करने के लिए कहा। हृदय में हरि का स्मरण करते हुए आप जो कर्म करोगे स्वत: ही शुभ कर्म होगा और वह आपका कर्मयोग बन जाएगा।
संगोष्ठी को वेदप्रकाश बिश्नोई आईपीएस (सेवानिवृत्त), देवेन्द्र बिश्नोई आईपीएस बीकानेर, प्रेमसुख डेलू आईपीएस जामनगर (गुजरात), कृष्णकुमार बिश्नोई आईपीएस गोरखपुर (उत्तरप्रदेश), निर्मला बिश्नोई आरपीएस, श्यामसुंदर बिश्नोई आरपीएस, मुख्यमंत्री उत्तराखंड के पूर्व सुरक्षा अधिकारी संजय बिश्नोई देहरादून और पुलिस इंस्पेक्टर सुशीला बिश्नोई आदि ने संबोधित किया।
एडवोकेट आत्माराम पूनिया कुरुक्षेत्र ने शहीद का संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत किया। अकादमी के महासचिव डॉ सुरेन्द्र कुमार ने सभी का संगोष्ठी में स्वागत किया और अकादमी की ओर से सोहनराम बिश्नोई आरपीएस (सेवानिवृत्त) ने सभी अतिथियों, वक्ताओं और श्रोताओं का आभार प्रकट किया। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रामस्वरूप बिश्नोई ने भी शहीद सुरेन्द्र सिंह बिश्नोई और सथेरण नागौर निवासी नौसेना के जवान शहीद जयप्रकाश बिश्नोई को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। मंच संचालक इं. आर के बिश्नोई दिल्ली, तकनीकी प्रबंधक डॉ लालचंद बिश्नोई बीकानेर और कार्यक्रम संयोजन अकादमी प्रवक्ता विनोद जम्भदास ने किया।

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