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बीकानेर,मेयर-आयुक्त विवाद के चलते अब सफाईकर्मियों को मोहरा बनाया जा रहा है। पिछले एक महीने में 30 से अधिक सफाई कर्मचारियों का तबादला किया गया है। 90 प्रतिशत सफाईकर्मियों को भाजपा वार्ड से कांग्रेस वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया।फॉगिंग और डेंगू नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग को दिए गए 10 कर्मचारी भी भाजपा वार्ड कर्मचारी हैं।

मेयर सुशीला कंवर और कमिश्नर गोपाल राम बिरदा के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब मैला ढोने वालों को लेकर एक नया संघर्ष शुरू हो गया है। भाजपा वार्ड 60 से सबसे ज्यादा सफाईकर्मी हटाए गए। इस वार्ड में लक्ष्मीनाथ मंदिर, बंगाडी बाजार, भुजिया बाजार का मुख्य मार्ग आता है। सफाईकर्मियों के लिए 15 अलग-अलग आदेश जारी किए गए, 30 से अधिक कार्यकर्ताओं को यहां से वहां स्थानांतरित किया गया, लेकिन सभी कार्यकर्ताओं को भाजपा पार्षदों के वार्ड से कांग्रेस पार्षदों के वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया है। लोग मेयर-आयुक्त की लड़ाई को देख इसे देख रहे हैं। यानी पार्षद महापौर के साथ हैं, उनके वार्ड से कर्मचारियों को काटा जा रहा है। वार्ड 36 से भाजपा के एक कार्यकर्ता को हटा दिया गया लेकिन बदले में एक अन्य को भी वहीं तैनात कर दिया गया।

वार्ड में सफाई नहीं और सफाईकर्मी कलेक्टर आवास में बैठे हैं
नगर पालिका क्षेत्र की जनसंख्या के अनुसार 2865 सफाई कर्मचारी होने चाहिए लेकिन अभी तक निगम में 1650 पद ही सृजित हुए हैं। 198 रिक्तियां भी हैं। शेष 1485 सफाईकर्मियों में से करीब 170 कर्मचारी ऐसे हैं जो सफाई के अलावा अन्य कार्यों में लगे हैं। सरकारी बंगले में 35 कर्मचारी तैनात हैं। कुछ अधिकारी बगीचे की देख-रेख कर रहे हैं तो कुछ साफ-सफाई का। कुछ कर्मचारियों को कलेक्टर कार्यालय में तैनात किया गया है। सर्वे में जुटे बीपीएल नगर पालिका में 35 से अधिक सफाईकर्मियों से लिपिक का काम लिया जा रहा है। कुछ सपोर्ट स्टाफ की तलाश की जा रही है।

राजनीति में स्वीपर बने मोहरा
वार्ड क्षेत्र और आवश्यकता के अनुसार सफाईकर्मियों का वितरण कभी नहीं किया गया। मौजूदा स्टाफ के मुताबिक हर वार्ड में औसतन 15 कर्मी होने चाहिए, लेकिन अब तक वार्ड 60 में 18 कर्मी थे। आयुक्त ने वहां से पांच कर्मचारियों को हटाकर दूसरे वार्डों में भेज दिया। यानी जिसकी शक्ति और प्रभाव प्रबल था, उसने कर्मचारियों को अपने वार्ड में रखा। पार्षद भी कर्मचारियों से इतना प्यार करते हैं कि नाम देखते ही वे अपने वार्ड में कार्यकर्ताओं को चाहते हैं। इसको लेकर निगम के प्रशासन और पार्षदों के बीच कई बार विवाद हो चुका है।

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