बीकानेर,इंसान के दिल का रास्ता उसके पेट से होकर जाता है. इसी सोच के साथ मशहूर ब्रैंड हल्दीराम की शुरुआत हुई. राजस्थान के बीकानेर से भुजिया का सफर शुरू करने वाली हल्दीराम आज दुनिया के 80 देशों में कारोबार कर रही है.
यह इतनी पॉपुलर हुई कि इससे 4 नई कंपनियों का जन्म हुआ. हालांकि, कंपनी ने अब तक के सफर में कई बार उतार-चढ़ाव का सामना किया. इसके बावजूद इसने स्नैक्स इंडस्ट्री में अपना दबदबा कायम रखा है. स्नैक्स इंडस्ट्री में 36 फीसदी हिस्सा हल्दीराम का है.
भले ही हल्दीराम की आधिकारिक शुरुआत 1937 में हुई, लेकिन बीकानेर के भीखाराम अग्रवाल ने भुजिया का कारोबार काफी पहले शुरू कर दिया था. इनकी भुजिया की भी अपनी कहानी है. दरअसल, भीखाराम भुजिया बाजार में काम करते थे. इनकी बेटी घर में भुजिया बनाती थीं, जिसका स्वाद काफी अलग था. इसे मार्केट में पहुंचाने की योजना बनाई गई. धीरे-धीरे यह परिवार के स्थायी आय का साधन बन गई.
बेसन की जगह की मोठ की भुजिया लाए
बाद में भीखाराम के पोते गंगा बिशन अग्रवाल की इस कारोबार में एंटी हुई. उन्हें लोग हल्दीराम के नाम से जानते थे. उन्होंने बेसन की जगह मोठ दाल का इस्तेमाल किया. इससे भुजिया को तैयार करके बेचना शुरू किया. इस तरह भुजिया का स्वाद अलग हो गया. इसका स्वाद लोगों को पसंद आने लगा.
बिजनेस को आगे ले जाने के लिए उन्होंने बीकानेर के महाराजा डूंगर सिंह के नाम पर भुजिया का नाम डूंगर सेव रखा. इससे महाराजा का नाम जुड़ने के बाद भुजिया का नाम तेजी से फैला. तब भुजिया का दाम 5 पैसा प्रति किलो रखा गया. महाराजा का नाम जुड़ा होने के कारण लोग इसे प्रीमियम भुजिया के तौर पर खरीदने लगे.
धीरे-धीरे बीकानेर में इसे हल्दीराम की भुजिया कहा जाने लगा. 1937 में गंगा बिशन अग्रवाल ने इसे हल्दीराम कंपनी के तौर पर आधिकारिक नाम दिया और कंपनी की नींव रखी.
जब हो गया बंटवारा
1955 में हल्दीराम ने कोलकाता में भी कारोबार शुरू करने का फैसला लिया. यहां पर हल्दीराम भुजियावाला के नाम से कंपनी शुरू की. अगले एक दशक में यह कोलकाता का जाना माना नाम बन गया. इस दौरान हल्दीराम के बड़े बेटे सत्यनारायण ने पिता और भाई से अलग होने का फैसला लिया. अलग होने के बाद उन्होंने हल्दीराम एंड संस नाम से अलग दुकान की शुरुआत की. वहीं हल्दीराम के पोतों ने नागपुर में बिजनेस का दायरा बढ़ाया.
हल्दीराम में पाया कि नागपुर में साउथ इंडियन डिशेज को काफी पसंद किया जाता है. इसे अवसर के रूप में समझते हुए उन्होंने साउथ इंडियन डिशेज बेचनी शुरू की. इस तरह कंपनी ने नागपुर में भी नाम कमाया.
वर्तमान में हल्दीराम का मार्केट कैप 24 हजार करोड़ रुपए का है. कंपनी ने खुद को सिर्फ भुजिया बनाने तक सीमित नहीं किया. समय-समय कई तरह के स्नैक्स लॉन्च किए जो काफी पॉपुलर हुए.