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बीकानेर/श्रीडूंगरगढ़. श्रीडूंगरगढ़ के पास सोमवार देर रात हुए हादसे ने दो घरों के चिराग बुझा दिए। वहीं एक परिवार से मुखिया को छीन लिया। हादसा इतना खौफनाक था कि एक युवक की मौके पर ही मौत हो गई। बाकी दोनों ने बाद में अस्पताल पहुंचने के बाद या रास्ते में दम तोड़ा। हादसे में लखासर गांव के नारायण सिंह व तख्तसिंह सिंह एवं कोलायत के गड़ियाला निवासी मोतीराम की सांसें थम गईं। जानकारी मिली है कि हादसे का शिकार दो लोगों ने हेलमेट नहीं लगा रखे थे। प्रारंभिक जानकारी में सिर में लगी गंभीर चोटों को उनकी मौत का कारण बताया जा रहा है। गौरतलब है कि ट्रैफिक नियमों की पालना के साथ ही हेलमेट लगाने को लेकर पुलिस और प्रशासन की ओर से नियमित अभियान और कार्रवाई की जाती रही है। बावजूद, दोपहिया सवार अपनी ही जान को जोखिम में डाल रहे हैं।

शव गांव पहुंचे तो…

लखासर गांव में जब सुबह करीब दस बजे नारायण सिंह व तख्तसिंह के शव पहुंचे, तो दोनों युवकों के मां-बाप जैसे सुध-बुध ही खो बैठे। सरपंच प्रतिनिधि गोवर्धन खिलेरी ने घर-परिवार के बारे में जानकारी दी। बताया कि नारायण सिंह दो भाई हैं। नारायण के चाचा ने छोटे भाई को गोद ले रखा है। नारायण अपने माता-पिता का इकलौता सहारा था। वहीं तख्तसिंह चार भाइयों में सबसे छोटा था। नारायण सिंह व तख्तसिंह दोनों दोस्त थे।

हादसों का हाईवे, सवाल: कब बनेगा ट्रोमा सेंटर

श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर आए दिन हादसे हो रहे हैं। इससे यह हादसों का हाई-वे बनता जा रहा है। श्रीडूंगरगढ़ में ट्रोमा सेंटर नही होने के कारण अधिकतर हादसों में गंभीर घायलों को बीकानेर रेफर किया जाता है। कई बार बीकानेर पहुंचने से पहले ही पीडि़तों की मौत हो जाती है। स्थानीय लोगों की मांग पर राज्य बजट में ट्रोमा सेंटर की घोषणा भी की जा चुकी है। भूमि का चयन हो चुका है, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियो की उदासीनता के चलते मामला जयपुर में अटक गया है।

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