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बीकानेर,अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ( उच्च शिक्षा) के तत्वावधान में राजकीय महाविद्यालय गंगाशहर में गुरुवंदन कार्यक्रम आयोजित किया गया। मां सरस्वती एवं आदि गुरु वेदव्यास जी की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण के द्वारा कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ। महारानी सुदर्शन महाविद्यालय के संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर उज्ज्वल गोस्वामी ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि ज्ञान प्राप्ति मानव जाति की विशेषता है। दुनिया में सब जगह ज्ञान एवं विज्ञान की परंपरा चलती है। भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां प्रज्ञान के माध्यम से गुरु के द्वारा आत्म साक्षात्कार करवाया जाता है। आज भारत अपनी सांस्कृतिक विरासत के संवर्धन के कारण ही तेजी से विकसित हो रहा है। यह संवर्धन यदि पहले कर लिया जाता तो भारत कब का अग्रणी देशों में स्थान प्राप्त कर लेता। महाविद्यालय प्राचार्य प्रोफेसर बबीता जैन ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भारत में गुरु शिष्य परंपरा से ज्ञान का संरक्षण, संवर्धन एवं परावर्तन होता रहा है। इस परंपरा के क्षीण होते ही ज्ञान का क्षरण हुआ। शिक्षक वह होता है जो विद्यार्थी का बौद्धिक उन्नयन करता है। किंतु गुरु उसे अंतिम सत्य का साक्षात्कार करवाता है। दुनिया में भारत ही एकमात्र पुण्य भूमि है जहां गुरु परंपरा विद्यमान है। कार्यक्रम के प्रारंभ में महाविद्यालय की छात्राओं के द्वारा सरस्वती वंदना का संगान किया गया। विषय प्रवर्तन एवं कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय इकाई सचिव श्री मोहित शर्मा किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ संतोष बैद ने किया। इस कार्यक्रम मे अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ(ABRSM )के सेवा प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफेसर शशिकांत, ABRSM के राजकीय डूंगर महाविद्यालय के इकाई अध्यक्ष प्रोफेसर मातृदत्त शर्मा और ABRSM के राजकीय महारानी सुदर्शन कन्या महाविद्यालय की इकाई सचिव प्रोफेसर राधा सोलंकी की गरिमामय उपस्थिति रही।

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