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बीकानेर राजकीय महाविद्यालय गंगाशहर। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के तत्वावधान में राजकीय महाविद्यालय गंगाशहर में आदि गुरु वेदव्यास पूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरु वंदन कार्यक्रम का आयोजन समारोह पूर्वक किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की प्रांतीय कार्यकारिणी के सदस्य प्रोफेसर शशिकांत रहे। आपने अपने उद्बोधन में सर्वप्रथम अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का परिचय प्रस्तुत करते हुए इसके तीन महत्वपूर्ण कार्यक्रमों कर्तव्य बोध दिवस, हिंदू नव वर्ष का आयोजन तथा गुरू वंदन कार्यक्रम का विवेचन प्रस्तुत किया। गुरु वंदन कार्यक्रम के महत्व को बताते हुए आपने महर्षि वेदव्यास के कर्तृत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यद्यपि भारत में ज्ञान का सृजन महर्षि वेदव्यास से पूर्व भी परंपरागत रूप से चला आ रहा था किंतु महर्षि वेदव्यास का महनीय कार्य उस ज्ञान को लिपिबद्ध करना था जिन्होंने चारों वेदों पुराणों तथा महाभारत महाकाव्य का लेखन कर भारतीय संस्कृति की ज्ञान परंपरा को निश्चित स्वरूप प्रदान किया। उन्होंने उनकी स्मृति को अक्षुण्ण रखते हुए परवर्ती गुरु परंपरा एवं वर्तमान में उसके महत्व पर भी प्रकाश डाला। इस अवसर पर प्राचार्य प्रोफेसर बबिता जैन ने भारतीय संस्कृति के वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दुनिया भर की संस्कृतियों में से एकमात्र भारतीय संस्कृति है जो मनुष्य के शाश्वत प्रश्न ‘मैं कौन हूं’ का समाधान करती है। गुरु इस प्रश्न के समाधान का निमित्त बनता है और आत्मा को परमात्मा बनाने का मार्ग बताता है। गुरु को गुरु उसका लघु सुपात्र शिष्य बनाता है इसलिए शिष्य का महत्व भी सर्वाधिक है। कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती एवं महर्षि वेदव्यास के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। स्वागत भाषण सहायक आचार्य श्री मोहित शर्मा एवं कार्यक्रम का संचालन डॉ समीक्षा व्यास ने किया। इस अवसर पर डूंगर महाविद्यालय से पधारे प्रोफेसर नरेंद्र कुमार एवं राजकीय महाविद्यालय गंगाशहर के डॉक्टर संतोष बैद, डॉ दिनेश कुमार सेवग, डॉ लीला कौर, डॉ महेश लोहिया उपस्थित रहे।

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