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बीकानेर,अशिक्षा गरीबी का अभिशाप झेल रही गुर्जर बिरादरी -रवि शंकर धाभाई राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय गुर्जर महासंघ ने एमबीसी गुर्जर आरक्षण को सविंधान की 9 वी अनुसूची में डालने एवम गुर्जर जाति को राष्ट्रीय विमुक्त घुमत तथा अर्ध घुमत जनजाति में जोड़ने एवम शामिल करने एवम इसके आयोग में गुर्जर समाज के प्रतिनिधि को भी शामिल करने बाबत प्रधानमंत्री से की मांग*

जयपुर के समाजसेवी एवम राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय गुर्जर महासंघ रवि शंकर धाभाई ने आज एक मांग पत्र महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिसमे उन्होंने ने बताया कि आजादी के समय से ही गुर्जर समुदाय अशिक्षा, गरीबी का अभिशाप झेल रही है और गुर्जर बिरादरी को जनजाति (एसटी) का दर्जा मिला हुआ है क्योंकि गुर्जर समुदाय घुमंतू समुदाय है इसका मुख्य व्यवसाय पशुपालन है और इतिहास गवाह है कि 12 अक्टूबर 1871 को पूरे गुर्जर समुदाय को आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 के तहत आपराधिक जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया था और सभी गुर्जर को इस अधिनियम के तहत जन्मजात अपराधी माना गया था । गुर्जर समुदाय के लिए यह सजा 10,00,000 बहादुर गुर्जर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने और स्वतंत्रता के पहले युद्ध 1857 में कई अंग्रेजों को मारने के कारण दी गई थी । 81 साल बाद 31 अगस्त 1952 ( भारत की आजादी के 5 साल बाद) इस दुष्ट कृत्य को निरस्त कर दिया गया, लेकिन हमारे महान जनजाति को कोई सम्मान या मान्यता नहीं दी गई । हमें आपराधिक जाति अधिनियम ( पूर्व अपराधियों) से अधिसूचित होने के लिए डी – अधिसूचित जनजाति कहती है और गुर्जर के प्रति कलंक आज तक जारी है । गुर्जर समुदाय को इस नाम पर कड़ी आपत्ति है । हम स्वतंत्रता सेनानी जनजाति हैं । नहीं अधिसूचित जनजाति (पूर्व अपराधी ) जो हमारे घावों पर नमक रगड़ती है । गुर्जर समाज के लोग इस अनादर और अन्याय के खिलाफ खड़े है।

महासंघ के महासचिव योगेंद्र सिंह गुर्जर ने बताया कि आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के कारण अंग्रेजों ने गुर्जर को अपराधी जाति में शामिल कर दिया था । आजादी के बाद सरकार ने क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट को समाप्त कर दिया। लेकिन अभी भी ऐसे लोग और यहां तक कि कई अधिकारी मिल जाएंगे जो गुर्जर समाज को अपराधी के रूप में देखते हैं । अंग्रेजों ने क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट 1871 के जरिए गुर्जरों का अपराधी जाति घोषित किया था 1857 में आजादी की पहली क्रांति के दौरान मेरठ में कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने क्रांतिकारियों तक संदेश पहुंचाने के लिए अंग्रेजों की घोड़े कैदियों को दे दिए थे। फरीदाबाद गुड़गांव ग्रेटर नोएडा के दादरी सहारनपुर गाजियाबाद एरिया में गुर्जरों ने युद्ध में गुर्जरों को बड़ी अंग्रेजों को बड़ी हानि पहुंचाई थी । अंग्रेजों ने दमन चक्र चलाया अंग्रेजों ने क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट पारित कर गुजरो का अपराधी घोषित कर दिया क्रांति के लिए अंग्रेजों के घोड़े चोरी करने के कारण पशु चोर का तमगा भी दे दिया । आजादी के बाद गुर्जर जाति से बाहर कर दिया लेकिन कुछ लोगों की मानसिकता नहीं बदली है।

अखिल भारतीय गुजर महासंघ की युवा प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय महासचिव वैष्णवी धाभाई ने वार्तालाप में बताया कि गुर्जर वीरों ने संगठित होकर अंग्रेजी हुकूमत को भारत से खदेड़ने में अपनी महती भूमिका अदा की थी और वर्तमान समय में भी गुर्जर समाज यह लोग सेना में शामिल होकर देश की रक्षा कर रहे हैं । गुर्जर समाज आरक्षण संवैधानिक अधिकार है ।आपको ज्ञात होगा कि देश की आजादी में अग्रणी भूमिका निभाने वाले गुर्जर समुदाय को स्वतंत्रता सेनानी होने के कारण यह लाभ अति गरीब गुर्जर के लिए वरदान साबित होगा। वर्ष 2017 में राजस्थान सरकार ने एमबीसी की गुर्जर सहित पांचों जातियों को डी एन टी के लिए भारत सरकार को सिफारिश कर दिया है। राजस्थान सरकार के विभाग द्वारा बताया गया है कि राज्य सरकार द्वारा विमुक्त एवम अर्द्ध गुमन्त जातियों के जोड़ने संबंधित प्रस्ताव भिजवाने हेतु लिखे गए पत्र क्रमांक 73396 दिनांक 01.11.2017 तथा क्रमांक 13463 दिनांक 09.03.2022 भारत सरकार को लिखे है। रेंनकेकमीशन,अब ईदाते कमीशन भविष्य में डीएनटी को दस प्रतिशत आरक्षण उम्मीद बहुत है।*
*हालांकि,भारत सरकार को ईदाते कमीशन की लिस्ट को राजस्थान सरकार को भेजना बाकी है।*
*राजस्थान में सरकार द्वारा गुर्जर जाति को डीएनटी केटेगिरी में शामिल करने के बाद भी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं इस कारण वंचित एवम पिछड़े गुर्जर समुदाय को केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं।*

सामाजिक कार्यकर्ता रवि शंकर धाभाई ने आगे बताया कि दिनांक 26 जुलाई 2021को माननीय प्रधानमंत्री जी को मेरे द्वारा एक मेल द्वारा एक ज्ञापन संसद में गुर्जर एमबीसी आरक्षण को संविधान की 9 वी अनुसूची में शामिल करवाने क्योंकि एमबीसी आरक्षण अभी अधूरा है एवम राष्ट्रीय घुमत तथा अर्ध घुमत जनजाति आयोग भारत सरकार में गुर्जर समाज के प्रतिनिधि को भी सदस्य के रूप में शामिल करने की मांग की गई थीं । लेकिन इस बाबत भारत सरकार द्वारा की गई कार्रवाई से मुझे अभी तक नही अवगत कराया गया है ।

इस मांग पत्र के द्वारा सूचित किया जा रहा है कि भविष्य में 2024 में आने वाले चुनावों में गुर्जर समाज उस राजनीतिक दल का पूरा सहयोग करेगा जो पार्टी हमे जनजाति आरक्षण दिलवाने में मदद करेंगी अन्यथा गुर्जर समाज को आरक्षण अधिकार से वंचित करने के कारण राजनीतिक पार्टियां उसका परिणाम एवम खमियाजा चुनावों में भुगतने के लिए तैयार रहें ।

आगमी चुनावों से पूर्व है समय रहते ही हमे आरक्षण के लाभ एवम संवैधानिक अधिकार दी जाए । अनुरोध किया है कि इस संबंध में संबंधित विभागों की निर्देश दे ।

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