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चंडीगढ़। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार को अदाणी ग्रुप की वजह से प्रतिदिन 140 करोड़ 50 लाख रुपये की चपत लगेगी। एग्रीमेंट के मुताबिक अदाणी की ओर से प्रदेश को बिजली सप्लाई नहीं की जा रही है। ऐसे में सरकार को मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की प्राइवेट कंपनियों ने महंगी दरों पर बिजली खरीदनी पड़ी है।

मध्य प्रदेश की एमबी पावर के साथ पांच रुपये 70 पैसे और छत्तीसगढ़ की आरकेएम पावर के साथ पांच रुपये 75 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीद का समझौता हुआ है। यदि अदाणी ग्रुप की ओर से हरियाणा को समझौते के मुताबिक बिजली सप्लाई जारी रखी जाती तो यह नुकसान न उठाना पड़ता।

चंडीगढ़ में मीडिया से बातचीत करते हुए कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अदाणी पावर ने खुद ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में 24 नवंबर 2007 को 2 रुपये 94 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से 1424 मेगावाट बिजली सप्लाई के लिए कंपटिटिव बिड दी थी।

हुड्डा सरकार ने 31 जुलाई 2008 को अदाणी ग्रुप की बिड को मंजूर किया और 25 वर्षों के लिए समझौता किया गया। इसके लिए बाकायदा बिजली खरीद समझौता (पीपीए) पर साइन हुए। गुजरात के मुंद्रा से महेंद्रगढ़ तक अदाणी पावर द्वारा बिजली की लाइन भी बिछाई गई।

सुरजेवाला ने आरोप जड़े कि राज्य सरकार अदाणी ग्रुप के साथ मिलकर प्रदेश पर आर्थिक बोझ डाल रही है। पिछले साल से ही अदाणी ग्रुप हरियाणा को बिजली सप्लाई नहीं कर रहा, लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।

2010-11 में इंडोनेशिया में कोयले के रेट के बारे में कानून में बदलाव हुआ। इसके आधार पर अदाणी पावर ने हरियाणा के साथ हुए पीपीए को सिरे से खारिज करने या फिर कोयले की बढ़ी हुई कीमतें हरियाणा द्वारा देने की मांग रखी।

सुरजेवाला ने कहा कि यह मामला विभिन्न संस्थाओं व आयोग से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी ग्रुप की दोनों मांगों को खारिज कर दिया। हरियाणा राज्य बिजली विनियामक आयोग (एचइआरसी) ने भी हरियाणा सरकार द्वारा बिजली की खरीद अदाणी पावर की ‘रिस्क एंड कास्ट’ पर नहीं करने पर सवाल उठाए हैं। रणदीप ने इस बाबत छह अप्रैल 2022 को एचइआरसी द्वारा दिए गए आदेशों की कापी भी मीडिया को सौंपी है। उन्होंने आरोप लगाए कि बिजली खरीद में बड़ा घोटाला किया जा रहा है।

सालाना 51 हजार 282 करोड़ की चपत

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की दो प्राइवेट कंपनियों से तीन साल 500 मेगावाट बिजली खरीदने का एग्रीमेंट किया है। अदाणी से दो रुपये 94 पैसे में बिजली आनी थी, जो नहीं आ रही। अब पांच रुपये 75 पैसे में खरीदने की वजह से दो रुपये 81 पैसे प्रति यूनिट अधिक दाम देने होंगे।

ऐसे में सरकार रोजाना 140 करोड़ 50 लाख रुपये बिजली खरीद पर अतिरिक्त खर्च करेगी। यानी सालाना 51 हजार 282 करोड़ रुपये का बोझ प्रदेश पर पड़ेगा। इसलिए सरकार को अदाणी ग्रुप से समझौते के मुताबिक बिजली हासिल करने के गंभीर प्रयास करने चाहिए, ताकि उसे दूसरी कंपनियों से महंगी बिजली न खरीदनी पड़े।

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