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बीकानेर,बीकानेर में देशनोक ओवर ब्रिज हादसे में एक ही समाज और परिवार के 6 युवाओँ की मौत के बाद कांग्रेस के नेता जो कर रहे हैं यह कोई स्वच्छ राजनीति नहीं है। कांग्रेस के नेता ऐसा उदाहरण पेश कर रहे हैं जो भारतीय लोकतंत्र और राजनीति के लिए कलंक है। कांग्रेस के पूर्व विधायक और अन्य नेता इस घटना के मंच से प्रधानमंत्री की आलोचना कर रहे हैं और केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का पुतला जला रहे हैं। इस घटना के लिए न तो मोदी दोषी और न अर्जुन राम। जिम्मेदारी राजस्थान सरकार और प्रशासनन की है। फिर क्यों मोदी को गाली और अर्जुन राम का पुतला जलाया जा रहा है। यह निकृष्ट राजनीति का नमूमा है। लोकतंत्र का उपहास उडाने जैसा है। गोविन्द राम मेघवाल की केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से ऐसे खुंदक निकालने से तो राजनीति का नैतिक पतन ही माना जाएगा। पीडित परिवार को इस रवैये से न तो संबल मिलेगा और न ही संवेदना। इसका जनता में जो संदेश जाएगा उसमें गोविन्द राम मेघवाल की छवि और धूमिल ही होगी। अर्जुन राम मेघवाल के राजनीतिक जीवन में अलोचना के कई बिन्दु हो सकते हैं, परन्तु उनमें घटना के प्रति मानवीय संवेदना से कोई इन्कार नहीं कर सकता। भले ही वे व्यक्त रूप में मृतकों के परिजनों के साथ नहीं हो, परन्तु संवेदना के तौर पर वे इतने अमानवीय तो कतई नहीं हो सकते। गोविन्द राम मेघवाल और कांग्रेस के नेताओं ने तो अर्जुन राम मेघवाल का पुतला जलाकर विरोध प्रदर्शन की हद ही कर दी। इसको तो अर्जुन राम के विरोधी ही स्वीकार नहीं करेंगे। यह नुकसान खुद गोविन्द राम मेघवाल को हो रहा है। मुद्दे का कांग्रेसीकरण और घटना को राजनितिक मुद्दा बनाकर वे अपनी प्रतिष्ठा खो ही रहे हैं। उनको मृतकों के परिजनों को 50 लाख रुपए और नौकरी दिलाने की बात के अलावा यह सब करना खुद की राजनीतिक प्रतिष्ठा पर आघात करना है। संभालो हर मुद्दे को राजनीतिक लाभ हानि से मत जोड़ो जनता सब समझती है गोविंद राम जी। मृतकों के परिजनों के राहत की बात करो अन्यथा ऐसी राजनीति को जनता कितना स्वीकार करेगी आप खुद भुगत चुके हो।

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