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जयपुर, राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक रिक्त पदों की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए इन्हें भरने की कार्यवाही त्वरित किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस संबंध में वित्त विभाग द्वारा आवश्यकतानुसार पदों को भरने की स्वीकृतियां जारी करने और विश्वविद्यालयों को भी स्वीकृत पदों पर नियुक्तियों की कार्यवाही समयबद्ध किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में किसी स्तर पर लापरवाही नही होनी चाहिए।

राज्यपाल मिश्र सोमवार को राजभवन में कुलपति समन्वय समिति की बैठक के आरम्भिक सत्र में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों को परस्पर समन्वय रखते हुए कार्य करने और राजस्थान को शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने का आह्वान किया।

राज्यपाल ने कहा कि गत दो वर्ष में कोविड की चुनौती के बावजूद विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और नवीन संदर्भों में उच्च शिक्षा के विकास के लिए महत्वपूर्ण प्रयास हुए हैं। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण से जुड़ी महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों में आपसी विचार-विनिमय और विश्वविद्यालय स्तर पर भी शिक्षकों एवं छात्रों से निरंतर संवाद जरूरी है।

कुलाधिपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों की स्वीकृति, संचालन और संकाय से जुड़ी नियुक्तियों और अन्य सभी व्यवस्थाओं में एकरूपता की नीति अपनाए जाने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालयों में हो रहे नवाचारों, विद्यार्थी हित से जुड़े मुद्दों और शोध कार्यों की गुणवत्ता के लिए भी सभी को मिलकर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नए स्वीकृत पदों को भरते समय पारर्दीशता पर विशेष जोर दिया जाए।

राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति समग्रता और तत्परता से लागू करने पर बल देते हुए कहा कि विद्यार्थियों में कौशल विकास और रोजगारोन्मुखी शिक्षा के सबंध में भी विश्वविद्यालय गंभीर होकर प्रयास करें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को हमारी सांस्कृतिक विरासत और लोकतंत्र की भावना के प्रति विद्यार्थियों में आस्था पैदा करने का महती कार्य भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में संविधान पार्क की स्थापना का निर्णय करने के पीछे भी यही मंशा रही है।

कुलाधिपति ने पाठ्यक्रमों को अपडेट करने की आवश्यकता व्यक्त करते हुए कहा कि बदलते समय के अनुसार उपयोगिता और नवीनतम ज्ञान के हिसाब से पुस्तकों के संशोधित संस्करणों को लागू किया जाए।

आरम्भिक सत्र में विश्वविद्यालयों के सामाजिक दायित्व, गोद लिए गांवों के विकास, विशेष योग्य विद्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रम एवं सुविधाओं के विकास, वित्तीय प्रबंध, समान विषय में समान पाठ्यक्रम, अंतर्विश्वविद्यालय खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन, संसाधनों के सृजन एवं उपयोग, कैम्पस प्लेसमेंट, राज्य विश्वविद्यालय प्रबंध प्रणाली सहित विभिन्न विषयों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।

राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार ने स्वागत उद्बोधन में समन्वय बैठक के एजेण्डा बिन्दुओं के बारे में जानकारी दी।

बैठक में स्कूल शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री राजेन्द्र सिंह यादव, कौशल, रोजगार एवं उद्यमिता राज्य मंत्री अशोक चांदना, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्कूल शिक्षा पवन कुमार गोयल, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के शासन सचिव नारायण लाल मीणा, श्रम एवं कौशल विभाग के सचिव भानु प्रकाश येतुरु, कॉलेज शिक्षा आयुक्त श्रीमती शुचि त्यागी, वित्त (व्यय) के विशिष्ट सचिव नरेश कुमार ठकराल, वित्त (बजट) के विशिष्ट सचिव सुधीर कुमार शर्मा, राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्द राम जायसवाल, सहित प्रदेश के सभी राज्य पोषित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं राजभवन के अधिकारियों ने भाग लिया।

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