बीकानेर,राजस्थान में राइट टू हेल्थ कानून लागू होना है, पारित कर दिया गया है। पिछले दो सप्ताह से इसका जम कर विरोध हो रहा है। राईट टू हेल्थ कानून का तात्पर्य है कि कोई भी बीमार किसी भी प्राइवेट अस्पताल में जाकर अपना इलाज नि:शुल्क करवा सकता है। इसकी व्यय पूर्ति सरकार अपनी शर्तों पर करेगी। इस कानून के प्रावधान से जनता, स्वास्थ्य व्यवसाय में लगी कंपनियां, संस्थान और सरकार के बीच बाउडर खड़ा कर दिया है।बेशक राजस्थान में मेडिकल माफिया जड़े जमा चुका है। प्राइवेट अस्पतालों के विवाद और पेशेंट के परिजनों से पैसे वसूलने के किस्सों से प्राइवेट अस्पतालों की साख पर भी धब्बा है। सरकारी अस्पताल भी मेडिकल माफिया के चंगुल में है। यह एक अलग मुद्दा है। प्रदेश में स्वास्थ्य संसाधनों में 70 प्रतिशत इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट सेक्टर में हैं। जिन्होंने भवन, उपकरण, मानव संसाधन डाक्टर, तकनीशियन, नर्सिंग स्टाफ, ऑपरेशन थियेटर समेत अन्य संसाधन विकसित किए हैं। इसमें सरकार के कोई पैसे नहीं लगे हैं। वो सरकार को अपने संसाधन सरकार की शर्तों पा क्यों सौंप देंगे? सरकार राईट टू हेल्थ को लागू करने में अपने मेडिकल और हेल्थ सिस्टम को मजबूत करें। दरअसल राईट टू हेल्थ अगले विधानसभा चुनाव में वोटो का टूल बनाने तथा सरकार समर्थक अफसरों को इतिहास पुरुष बनने कि दौड़ है। सरकार कि साख दाव पर लगी है। सरकार और सरकार समर्थक अफसर अति कर रहे हैं। प्रदेश में अच्छे प्राइवेट अस्पताल भी है जो अपनी प्रतिष्ठा के लिए कायदे से बीमारो के साथ पेश आते हैं। मानवता दिखने वाले भले ही कम हो परंतु आज भी ऐसे डाक्टर हैं। इस कानून के पारित होने के बाद उपजे विवाद से दोनों पक्षों सरकार और हड़ताली डाक्टरों के बयानों और दावों से जनता के सामने तस्वीर साफ है। सरकार का छुपा हुआ एजेंडा वोट पाना है। भाजपा की चुप्पी का कारण भी वोट खोने का डर है। राईट टू हेल्थ को वोटों का उपकरण बनाने का छिपा मंतव्य डाक्टरों की हड़ताल से उजागर हो गया है। यह मुद्दा अब प्रदेश का या राष्ट्रीय स्तर का नहीं रह गया, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय हो गया है। सरकार अति नहीं करें। कानून सरकारी स्वास्थ्य सिस्टम में लागू करें। प्राइवेट अस्पतालों में लूट मचाने वालों के खिलाफ कानून सम्मत कार्रवाई करें।मेडिकल माफिया को नेताओं का ही संरक्षण प्राप्त है। माफिया को संरक्षण नहीं दें। प्राइवेट अस्पतालों पर राईट टू हेल्थ कानून थोपकर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा और स्वास्थ्य सेवा पर विनिवेश को बाधित नहीं करें। कानून में अपेक्षति सुधार कर विवाद समाप्त करना ही सरकार, जनता और मेडिकल सेवाओं के हित में है। नि:शुल्क दवा योजना और चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना से जनता को राहत है। मुख्यमंत्री जी जनता आपकी स्वास्थ्य योजनाओं से खुश हैं। आपकी सरकार के अफसर क्यों बखेड़ा खड़ा कर रहे हैं। यह कानून थोपकर क्यों अति की जा रही है ?
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