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जयपुर सरकारी स्कूलों में नामांकन वृद्धि पर सरकार भले ही वाहवाही लूट रही है लेकिन स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों विद्यार्थियों के पास बैठने + की पर्याप्त जगह तक नहीं है। प्रदेश में 21500 स्कूलों में बच्चों के लिए बैठने की जगह ही नहीं है। इन स्कूलों में 92 हजार अतिरिक्त कक्षा कक्ष चाहिए।

यह बात खुद सरकारी आंकड़े बयां कर रहे है। सत्र 2019-20 में स्कूलों में करीब 86 लाख नामांकन था। उस समय विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 66332 अतिरिक्त कक्षाओं की जरूरत थी। इस सत्र 2021-22 में करीब 10 लाख नामांकन बढ़ा है।

ऐसे में अगर एक कक्षा में औसत 40 छात्र भी बढ़े हो तो प्रदेश में 25 हजार और कक्षाओं की जरूरत बढ़ी है। सरकार में हाल ही मंत्रिमंडल पुनर्गठन के बाद शिक्षा महकमे की कमान बी.डी. कल्ला को दी गई है। ऐसे में अब सरकारी स्कूलों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सुविधा उपलब्ध कराना चुनौती रहेगी।

1128 सरकारी स्कूल एक ही कमरे में
प्रदेश के 1128 सरकारी स्कूल एक ही कमरे में चल रहे हैं। • 290 स्कूलों के पास खुद के भवन ही नहीं है। 166 स्कूल ऐसे हैं, जो किराए पर चल रहे हैं। 687 स्कूलों को दानदाताओं के सहयोग से बिना किराए पर चलाया जा रहा है। इसके अलावा 5831 स्कूल एकमात्र शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं।

सरकारी स्कूलों में किस तरह के सुधार की जरूरत

18 हजार स्कूलों में लाइट नहीं

6243 स्कूलों के 10865 कक्षा कक्षों में मरम्मत की जरूरत

1090 स्कूलों में सिर्फ एक ही टॉयलेट

9892 स्कूलों में नहीं 12036 स्कूलों में हैडमास्टर का कमरा ही नहीं

55% स्कूलों में कम्प्यूटर नहीं है जि

वही शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला, का कहना है की स्कूलों में विकास के लिए प्रबंधन समितियों को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा। इसमें लापरवाही नहीं चलने दी जाएगी। प्रत्येक जिले में वर्चुअल बैठक ली जाएगी। अच्छा काम करने वाली समिति को पुरस्कार करेंगे।

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