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बीकानेर,राजस्थान से नहरी पानी की रॉयल्टी मांगने वाली पंजाब सरकार को अपने जल स्रोतों की गणना का ही पता नहीं है। राजस्थान और हरियाणा की सीमा से सटे पंजाब के सबसे बड़े नहरी मंडल अबोहर के पास इस बात का कोई आंकड़ा नहीं है कि नहरों में आ रहा पानी कहां पर कितना दिया जा रहा है।

एक आर.टी.आई में इस बात का खुलासा हुआ है कि वर्षों से इस नहरी मंडल के पास नहरी पानी का कोई रिकॉर्ड ही दर्ज नहीं है। विभाग के पास दिए जाते नहरी पानी का ‘आउटलेट रजिस्टर’ ही नहीं है। विभाग के नियमों के मुताबिक प्रत्येक माह रजिस्टर को तैयार करना जरूरी है।

नहरी पानी को लेकर सबसे अधिक विवाद और किसानों के धरने पंजाब के इसी अबोहर नहरी मंडल में लगते है। इस मंडल के अधीन छोटी बड़ी 102 नहरें आती है और सर्वाधिक टेल एंड क्षेत्र भी इसी मंडल में है। नहरों के पानी की सीपेज और नहरी पानी के आंकड़ें के मुताबिक इस मंडल में नहरी पानी की कोई कमी नहीं है। जिला फाजिल्का, श्री मुक्तसर साहिब का बड़ा हिस्सा अबोहर नहरी मंडल के अधीन आता है। राजस्थान को पानी देने वाली एशिया की सबसे बड़ी इंदिरा गांधी नहर परियोजना वाली नहर और बीकानेर नहर भी यही से गुजर कर जाती है।

बड़े किसानों में जाखड़ परिवार और बादल परिवार के खेत/बाग इसी मंडल में आते है। राज्य का ये नहरी मंडल अक्सर ही विवादों में ही रहा है। इस क्षेत्र में लगते धरनों में लगाए जाते आरोपों को माने तो प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपयों के पानी की हेरा फेरी होती है। अकाली दल-भाजपा के राज में अबोहर में भाजपा के बड़े नेता पानी की कथित बंदरबांट को लेकर धरने लगा चुके है और कांग्रेस के राज में राजा वडिंग किसानों के साथ धरने लगा चुके है। आरोप वही है कि प्रभावशाली लोगों के मोघे बड़े किए हुए है और आम किसानों को पानी भी पूरा नहीं मिल रहा। अबोहर मंडल की नहरों से पानी की सप्लाई कितनी है, इस बात को लेकर एक आर.आई.टी डाली गई थी, जिसमे सिंचाई वाले पानी की बांट करते आउटलेट रजिस्टर का विवरण मांगा गया था।

ये मामला भी कई महीने चला और चंडीगढ़ स्थित राज्य सूचना कमीशन के पास जाकर ये खुलासा हुआ कि विभाग के पास पानी की बांट का कोई विवरण नहीं है। नहरी मंडल अबोहर के तत्कालीन कार्यकारी इंजीनियर सुखजीत सिंह ने पंजाब राज्य सूचना आयोग के समक्ष एक हलफनामा देकर कहा कि पानी का रिकॉर्ड रखने का कार्य जूनियर इंजीनियर का होता है और विभाग में जूनियर इंजीनियर का अभाव चल रहा था, इसलिए आउटलेट रजिस्टर मुकम्मल नहीं किए जा सके। अब नए जूनियर इंजीनियर नियुक्त हुए है, इसलिए आउटलेट रजिस्टर भविष्य में तैयार किए जाएंगे। विभाग का ये जवाब भी सूचना आयोग की सख्ती के बाद आया, जब आयोग ने कार्यकारी इंजीनियर के वार्रेंट जारी कर दिए। दिलचस्प बात ये भी है कि सिंचाई विभाग के नियमों के मुताबिक प्रत्येक माह में नहरी पानी की जलापूर्ति वाले रजिस्टर का विवरण दिया जाना जरूरी है। पंजाब के अन्य सिंचाई मंडलों के पास ऐसा रिकॉर्ड उपलब्ध है, परन्तु अबोहर मंडल के पास नहीं।

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