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बीकानेर,अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत )के प्रदेश अध्यक्ष केसर सिंह चंपावत ने राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर 01 जनवरी 2004 के पश्चात नियुक्त कार्मिकों को पुरानी पेंशन दिए जाने की मांग की है । चंपावत ने बताया कि कारपोरेट पद्धति पर आधारित नवीन अंशदाई पेंशन योजना (एन.पी.एस) शेयर मार्केट की तर्ज पर होने से शोषण का प्रतीक है। इस कारण प्रदेश के कार्मिकों में भारी आक्रोश एवं असंतोष व्याप्त है ।  चंपावत ने बताया कि एनपीएस कार्मिकों की राजकीय सेवा के यदि 15 वर्षों के पश्चात सेवानिवृत्त होने पर मिलने वाली पेंशन की राशि मात्र ढाई से तीन हजार ही बन पाती है यह शोषण की पराकाष्ठा है । उन्होंने यह भी अवगत कराया कि एनपीएस के अंतर्गत अंशदान जहां केंद्र सरकार द्वारा कार्मिकों के 10% के साथ सरकार का अंश 14 % किया गया है वहीं राज्य सरकार द्वारा यह दर 10% ही दी जा रही है यहां भी 4% की कटौती कर शोषण किया जा रहा है । जब मंत्रियों, सांसदों ,विधायकों आदि को पुरानी पेंशन प्रणाली के अनुसार पेंशनो का लाभ दिया जाता है तो 60 वर्ष की आयु तक राजकीय सेवा करने वाले कार्मिकों को इससे वंचित किया जाना न्यायोचित नहीं है । चंपावत ने इन कार्मिकों की नवीन पेंशन योजना समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना तत्काल प्रभाव से लागू करने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी कि अगर सरकार 01 जन वरी 2004 के बाद नियुक्त राजस्थान के कर्मचारियों को नवीन पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं करती है तो महासंघ एकीकृत कोविड-19 गाइडलाइन की पालना करते हुए राज्यव्यापी महा आंदोलन करने के लिए विवश होगा । बजरंग कुमार सोनी प्रदेश सचिव अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ( एकीकृत)

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