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जयपुर*: सस्ती दर पर गरीबों का पेट भरने वाली इंदिरा रसोई योजना के सफल क्रियान्वयन में शहरी निकायों के अधिकारी ही बाधक बने हुए हैं. ऐसे अधिकारियों को सबक सिखाने के लिए अब राज्य सरकार ने इनके वेतन में से कटौती का नया नियम लागू किया है.

देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती के मौके पर पिछले वर्ष 20 अगस्त को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इंदिरा रसोई योजना की शुरूआत की थी. इस योजना के तहत प्रदेश भर के 213 निकायों में 355 रसोईयों के माध्यम से महज आठ रुपए में गरीब व जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. रसोई में भोजन उपलब्ध कराने वाली और रसोई का संचालन करने वाली संस्था को समय पर भुगतान के लिए योजना के नियम तय किए हुए हैं. इसके बावजूद कई निकाय अधिकारियों की लापरवाही के चलते रसोई संचालकों को समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि योजना के नियमों के तहत रसोई संचालकों को समय पर भुगतान करने के लिए क्या प्रावधान किए गए हैं-

*भुगतान की समय सीमा है निर्धारित:-*
जिले की सभी निकायों में चलने वाली रसोइयों का भुगतान जिला मुख्यालय की निकाय के माध्यम से किया जाता है.
– रसोई संचालक को महीने का बिल अगले महीने की सात तारीख तक संबंधित निकाय में पेश करना होता है.
– रसोई संचालक के प्रस्तुत किए बिल का प्रमाणीकरण कर निकाय उसे भुगतान के लिए जिला मुख्यालय के निकाय को भेजना होता है.

बिल पेश होने के सात दिन में संबंधित निकाय को यह बिल भुगतान के लिए भेजना होता है.

*जिला मुख्यालय के निकाय के आयुक्त को प्राप्त बिल का सात दिन में भुगतान करना होता है.*
इंदिरा रसोई योजना के नियमों में रसोई संचालकों को भुगतान के लिए समय सीमा और जिम्मेदारी तय की गई है. इसके बावजूद इन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए निकायों के अधिकारी मामले में लापरवाही दिखा रहे है. लापरवाही का ही आलम है कि इस वर्ष अगस्त से नवंबर तक के चार महीनों के 254 रसोईयों का भुगतान अटका हुआ है. इनमें से निकाय स्तर पर 42 और जिला मुख्यालय के निकाय स्तर पर 212 बिल भुगतान के लिए अटके हुए हैं. भुगतान अटकने के मामलों को राज्य सरकार ने गंभीरता से लेते हुए योजना के नियमों में नए प्रावधान जोड़े हैं. आपको बताते हैं ये प्रावधान किस प्रकार लापरवाह अधिकारियों पर भारी पड़ेंगे-

*नियमों में डाले ये कड़े प्रावधान:-*
रसोई संचालक की ओर से बिल पेश होने के सात दिन के अंदर संबंधित निकाय को बिल भुगतान के लिए जिला मुख्यालय की निकाय को भेजना होगा.
– सात दिन में बिल फॉरवर्ड नहीं किया गया तो संबंधित अधिकारी से स्पष्टीकरण लेते हुए जिम्मेदारी तय की जाएगी.

*जिम्मेदार अधिकारी पर 12 प्रतिशत वार्षिक दर से जुर्माना लगाया जाएगा. यह जुर्माना उस अधिकारी के वेतन से ही काटा जाएगा.*
– इसी प्रकार जिला मुख्यालय के निकाय ने संबंधित निकाय से प्राप्त बिल का सात दिन में भुगतान नहीं किया तो जिला मुख्यालय के निकाय के आयुक्त पर 12 प्रतिशत वार्षिक दर से जुर्माना लगाया जाएगा.
– जुर्माने की राशि जिला मुख्यालय के निकाय के आयुक्त के वेतन में से काटी जाएगी.
– जुर्माने के तौर पर वसूल की गई राशि संबंधित रसोई संचालक को बतौर क्षतिपूर्ति दी जाएगी.

इंदिरा रासोई योजना के रसोई संचालकों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के वेतन में से कटौती का प्रावधान किया गया है. उम्मीद है कि इस प्रावधान की बिना किसी भेदभाव के कड़ाई से पालना की जाएगी. ऐसा होगा तभी बेफिक्र अधिकारियों को सही सबक मिलेगा.

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