बीकानेर सीमा सुरक्षा बल के क्षेत्रीय मुख्यालय के पूर्वी छोर पर डेढ़ साल पहले बंजर भूमि पर झाड़-झंखाड़ ही नजर आते थे। आज इस 44 एकड़ एरिया में हरियाली की चादर बिछ चुकी है। भीषण गर्मी में इतने बड़े भू भाग पर हरी-भरी घास का होना किसी अजूबे से कम नहीं लगता। यह कायाकल्प हुआ है बीएसएफ के जवानों के बहाए पसीने और डीआइजी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ के कुछ नया कर गुजरने के जुनून से। यह प्रदेश का बीएसएफ कैम्पस में सबसे शानदार गोल्फ कोर्स बन गया है। देश के लिए प्राणों को न्यौछावर करने वाले जांबाजों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर बने इसके गोल बताते हैं कि उन्होंने यहां कैम्पस में पानी को एसटीपी के माध्यम से के उन युवाओं को तराशते हैं, नई पीढ़ी को प्रेरणा दे रहे हैं।
दो साल पहले इंटरनेशनल गोल्फर पुष्पेन्द्र सिंह राठौड़ बीकानेर बीएसएफ डीआइजी के रूप में पदस्थापित हुवे। डीआईजी राठौड़ बताते हैं कि उन्होंने यहां कैंपस में फायरिंग रेंज के पास 50 एकड़ एरिया मैं झाड़ियां देखी तो इसकी साफ-सफाई कर हरा भरा बनाने का विचार आया इसके बाद जवानों की मदद से काम शुरू कर दिया गंदे पानी की एसटीपी के माध्यम से शोधित कर उपयोग लिया गया।
बंजर भूमि हरियाली मैं तब्दील होने से बदले वातावरण का ही असर है कि अब यहां पर दर्जनों तरह के पक्षी भी आने लगे हैं गोल्फ कोर्स मैं ही एक चिड़ियाघर बनाया गया है जहां पक्षियों को अलग-अलग प्रजातियों को देखा जा सकता है।
डीआईजी राठौड़ गोल में ऑल इंडिया पुलिस चैंपियन और ऑल इंडिया बीएसएफ चैंपियंस है नए खिलाड़ी तैयार करने के लिए गोल प्रशिक्षक भी रखा हुआ है जो क्षेत्र के युवाओं को तरसते हैं जिसकी इस खेल में रुचि है
बीएसएफ के अधिकारी दीपेन्द्र सिंह शेखावत गोल्फ कोर्स में लगे रणबांकुरों के 5 शिलालेखों को दिखाते हुए कहते हैं कि प्रत्येक शिलालेख 1971 के युद्ध के जांबाजों की स्मृति में गोल्फ के गोल के नामकरण का है। इनमें बीएसएफ के असिस्टेंट कमांडेंट चन्द्रसिंह चंदेल, डिप्टी कमांडेंट इन्द्रजीत उप्पल, हवलदार महेन्द्र सिंह, असिस्टेंट कमांडेंट रामकिशन वधवा, आर्मी के शहीद मेजर पूर्ण सिंह के शिलालेख शामिल हैं। शेष पांच गोल का नामकरण स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर है।