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बीकानेर,देव, गुरु, धर्म हमारे मोक्ष का द्वार खोलते हैं। इनमें भी देवाधिदेव तीर्थंकर परमात्मा हमें भवोभव से मुक्त करते हैं। हम दोहरी जिंदगी जीते हैं, बाहर संतोष भीतर लोभ, बाहर सत्य भीतर झूठ। यही दोहरापन हमारे दुखों का कारण है। उक्त प्रवचन गुरुवार को रांगड़ी चौक स्थित पौषधशाला में साध्वी सौम्यदर्शना ने कहे। साध्वी सौम्यदर्शना ने प्रतिक्रमण की महत्ता बताते हुए कहा कि जो कार्य हमारे लिए निषेध हैं उनका प्रायश्चित करने के लिए प्रतिक्रमण करना चाहिए। 16 प्रकार के पाप कर्म जो हमने भूतकाल में किए हैं, वर्तमान में कर रहे हैं अथवा भविष्य में करेंगे उन सबके लिए प्रतिक्रमण करके हम कर्मबंधन से मुक्त हो सकते हैं। हर श्रावक को प्रतिक्रमण अवश्य करना चाहिए। पाप से बचने का उपाय है प्रतिक्रमण। साध्वीश्री ने कहा कि योग हमारे भाग्य को सौभाग्य में बदल देता है तथा भोग हमारे भाग्य को दुर्भाग्य में बदल देता है। आज की संघपूजा का लाभ सोहनलाल स्नेहलता सिंघी द्वारा लिया गया।

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