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बीकानेर,गंगाशहर-भीनासर सुजानदेसर गौचर भूमि में बसे सियाराम नगर की सुबह अब राम मंत्रों और रामचरित मानस की चौपाइयों की गूंज से हो रही है। 108 कुंडीय रामचरित मानस महायज्ञ में यजमानों द्वारा आहुति देकर विश्व कल्याण के भाव रखे जा रहे हैं। कुम्भ मेले सा दृश्य और मंत्रों की गूंज ने सियाराम नगर को धर्मनगरी का रूप दे दिया है। मंगलवार को इस वृहद आयोजन के तीसरे दिवस श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा, सैकड़ों लोगों द्वारा हवनशाला की परिक्रमा लगाने का दृश्य और विहंगम दिखा। रामझरोखा कैलाशधाम के पीठाधीश्वर श्रीसरजूदासजी महाराज ने बताया कि तीसरे दिवस जगद्गुरु पद्मविभूषित श्रीरामभद्राचार्यजी महाराज के श्रीमुख से रामकथा वाचन से पहले राजकुमार पचीसिया, ओमप्रकाश मोदी, मुकेश अग्रवाल, रामेश्वर अग्रवाल, प्रहलाद अग्रवाल, जितेन्द्र सूरतगढ़, भंवरलाल चौधरी, चेतन चौधरी, जगमोहन मोदी, सूरजरतन अग्रवाल ने चरण पादुका का पूजन किया। कार्यक्रम संयोजक अशोक मोदी ने बताया कि मनु कच्छावा, अशोक तंवर, गणेश एडवोकेट, चाँदमल भाटी, रवि छंगाणी, ओमप्रकाश भाटी, धनराज गहलोत, पीबीएम अधीक्षक डॉ. पीके सैनी ने जगद्गुरु व संत-महात्माओं का स्वागत अभिनन्दन किया। महंत श्रीभगवानदासजी महाराज भरतपुर ने बताया कि कथा के दौरान परमपूज्य श्रीरामदासजी महाराज, श्रीमदनमोहनदासजी महाराज अयोध्या, श्रीश्यामामोहनदासजी महाराज वृंदावन, श्रीबालेश्वरदासजी महाराज कोठपुतली, तुलसीपीठ चित्रकूट धाम के उत्तराधिकारी रामचंद्रदासजी महाराज, श्रीगंगादासजी महाराज वृंदावन, श्रीपरशुरामदासजी महाराज विदिशा, श्रीशत्रुघ्नदासजी महाराज गोवर्धन बृजधाम, श्रीप्रियमदासजी महाराज बक्सर, हरिदासजी महाराज वेरसिया, श्रीरामेश्वरदासजी महाराज गंगानगर, बालकदासजी महाराज एवं राघवदासजी महाराज मंचासीन रहे।
तीसरे दिवस की कथा में प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ। संकीर्तन किया गया और सबको राम जन्म की बधाइयां दी गई। पांडाल को गुब्बारों से और रोशनी से सजाया गया। जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्यजी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम और श्रीहरि अनन्त और उनकी कथाएं भी हरि कथा अनंता है। हम सनातनधर्मी हैं और भगवान को अवतार मानते हैं। भगवान कभी वृद्ध नहीं होते वे युवा ही रहते हैं। जो प्रजाओं के पति हैं वे ही भगवान राम कौशल्या के गर्भ में विराजते हैं और देवकीजी के गर्भ में कृष्ण विराजते हैं। जगद्गुरु ने कहा कि जब तक ज्ञान नहीं होता तब द्वेत मोह के लिए होता है ज्ञान होने के पश्चात भक्ति के लिए जो द्वेत कल्पित होता है वो अद्वेत से भी सुंदर होता है। जगद्गुरु ने निर्गुण और सगुण की परिभाषा बताई। सभी गुण स्वरूप संबंधी भगवान में विराजित हैं। सब गुण भगवान के ही रूप हैं, यही आनन्द है। भगवान निर्गुण भी हैं और सगुण हैं। कथा के पश्चात् आरती की गई। मुख्य यजमान अरुण मोदी, अविनाश मोदी, सीताराम भांभू, कमल भांभू, चंद्रेश अग्रवाल ने रामजी का अभिषेक किया।

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