बीकानेर,भूतपूर्व सैनिकों के आरक्षण की व्यवस्था में बदला से पूर्व सैनिक नाराज हैं. उनका कहना है कि नए नियमों से भूतपूर्व सैनिकों को अब तक मिलते आ रहे स्टेट सर्विसेस में 5 फीसदी और सबोर्डिनेट सर्विसेज में 12.5 फीसदी आरक्षण का लाभ भी उन्हें नहीं पाएगा.राजस्थान एक्स सर्विसमैन लीग के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल एसपीएस कटेवा
जयपुर.राज्य की सरकारी नौकरियों में भूतपूर्व सैनिकों के आरक्षण की व्यवस्था में किए गए बदलाव अब पूर्व सैनिकों को रास नहीं आ रहे हैं. उनका आरोप है कि राज्य सरकार उन सैनिकों को वर्गवार बांटने का प्रयास कर रही है, जिन्होंने सेना की नौकरी के दौरान कभी जाति का जिक्र तक नहीं किया. यही नहीं उन्होंने ये स्पष्ट किया कि नए नियमों से भूतपूर्व सैनिकों को अब तक मिलते आ रहे स्टेट सर्विसेस में 5 फीसदी और सबोर्डिनेट सर्विसेज में 12.5 फीसदी आरक्षण का लाभ भी नहीं मिलेगा.
ओबीसी कोटे में पूर्व सैनिकों के आरक्षण के पैटर्न पर हुए विवाद के बाद राज्य सरकार ने प्रावधान बदलने का फैसला किया है. बीते दिनों हुई कैबिनेट की बैठक में पूर्व सैनिकों को सरकारी नौकरी में आरक्षण के प्रावधानों में संशोधन को मंजूरी दी गई. इसके लिए राजस्थान सिविल सेवा (भूतपूर्व सैनिकों का आमेलन) नियम, 1988 में संशोधन को मंजूरी दी गई. इससे राज्य की भर्तियों में भूतपूर्व सैनिकों को हॉरिजॉन्टल कैटेगरी वाइज आरक्षण मिलेगा. दावा है कि इस संशोधन से एससी-एसटी के पूर्व सैनिकों को भी सीधी भर्तियों में आनुपातिक रूप से प्रतिनिधित्व मिलेगा. इसके अलावा ओबीसी के लिए आरक्षित पदों में से पिछड़ा वर्ग के गैर सामान्य कैंडिडेट्स को भी पूरा कोटा मिल सकेगा.
इसके इतर भूतपूर्व सैनिकों ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण वर्गवार करना उनके हितों के खिलाफ बताते हुए कहा कि नए नियम राज्य सरकार के 1988 (भूतपूर्व सैनिक आमेलन नियम 1988) और 2018 के परिपत्र के भी खिलाफ है. वर्तमान में भूतपूर्व सैनिकों की कटऑफ एक ही होती है और उनका चयन मेरिट के आधार पर होने के बाद उन्हें संबंधित श्रेणी में समायोजित किया जाता है. लेकिन कैबिनेट के फैसले को लागू किया जाता है तो उससे भूतपूर्व सैनिकों को मिलने वाली सीटें लगभग खत्म हो जाएगी.
आगामी भर्तियों में होगा नुकसान
स्टेट सर्विसेज – 5% आरक्षण
पद संख्या वर्तमान आरक्षित पद नए नियमों के तहत आरक्षित पद
आरएएस 76 4 1
आरपीएस 77 4 1
आरएसीएस 32 2 0
कोऑपरेटिव 33 2 0
बीडीओ 21 1 0
एग्रीकल्चर 37 2 0
आरसीटीओ 38 2 0
आरओ/ईओ 63 3 0
सबोर्डिनेट सर्विसेज – 12.5% आरक्षण
पद संख्या वर्तमान आरक्षित पद नए नियमों के तहत आरक्षित पद
आरटीएस 96 11 5
एक्साइज 32 4 0
फूड 106 12 6
चाइल्ड डेवलपमेंट 36 4 1
सोशल जस्टिस 19 2 0
लेबर 70 8 3
एग्रीकल्चर 68 8 2
कोऑपरेटिव 146 17 9
राजस्थान एक्स सर्विसमैन लीग के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल एसपीएस कटेवा ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से सरकारी नौकरियों में भूतपूर्व सैनिकों के आरक्षण नियमों में किए गए बदलाव से सैनिक नाराज हैं. उन्होंने कहा कि भूतपूर्व सैनिकों को भी अब वर्गवार व्यवस्था में कम्पीट करना होगा. कटेवा ने कहा कि सबसे ज्यादा दुख इस बात की है कि सेना में भर्ती, प्रमोशन और सेवानिवृत्ति सभी मेरिट के आधार पर हुए और अब तक राजस्थान सरकार की नौकरियों में भी भूतपूर्व सैनिकों का सलेक्शन कॉमन मेरिट के आधार पर ही हो रहे थे. इसमें बदलाव करके वर्गवार मेरिट बनाई जाएगी. इससे जिन भर्तियों में पदों की संख्या कम है, उसमें तो भूतपूर्व सैनिक का चयन ही नहीं हो पाएगा.
ऐसे में उपराष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप इस बदलाव पर पुनर्विचार कर भूतपूर्व सैनिकों को वर्गों में विभाजित ना करते हुए, उनकी कटऑफ एक रखने की अपील की है. उन्होंने कहा कि सैनिकों की कोई जाति नहीं होती है. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि बीते सात सालों में निकाली गई वैकेंसी में भूतपूर्व सैनिक अपनी आरक्षित सीटों को भी नहीं भर पाए. इसलिए ऐसा कहना कि भूतपूर्व सैनिक युवाओं का हिस्सा ले रहे हैं, यह पूरी तरह गलत है.
2016 से सितंबर 2022 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य की सेवाओं में भूतपूर्व सैनिकों की भागीदारी महज 2.63% ही रही है. ऐसे में सैनिकों के राज्य की सेवाओं में उचित भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भूतपूर्व सैनिकों की नियोजन व्यवस्था को पहले की तरह रखने की मांग की गई है. ताकि सभी भूतपूर्व सैनिकों की कटऑफ एक ही रखी जाए.